Another Nipah outbreak in India: वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान पूरे विश्व में कोरोनावायरस ने जमकर तबाही मचाई। वर्तमान में भी बेशक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महामारी को खतरे से बाहर घोषित कर दिया हो, लेकिन फिर भी इसका म्युटेंट वायरस अभी भी लोगों को प्रभावित कर रहा है। यह भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना है। कोविड-19 अब खतरे से बाहर इसलिए हो गया है। क्योंकि इसकी वैक्सीनेशन विश्व स्तर पर लग चुकी है इसमें विकसित देशों की अपेक्षा भारत भूमिका रही है। भारत की स्वनिर्मित वैक्सीन विश्व के विभिन्न देशों में भेजी गई व प्रयोग भी की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि कोरोनावायरस अब लोगों पर इसलिए अपना इफेक्ट नहीं दिख रहा,क्योंकि लोगों में इस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुकी है। Nipah Virus India
2021 के सामने आया था जीका वायरस,अब महाराष्ट्र में मिले 2 पॉजिटिव | Nipah Virus India
पर समय-समय पर विश्व में ऐसी वायरस और भी आते रहे हैं, जो इंसानों के ऊपर एक खतरे के रूप में मंडरा रहे हैं। उनमें 2021 में आए जीका वायरस भी है। तब इस वायरस का प्रभाव एशिया महाद्वीप में दिखाई दिया। भारत में भी कानपुर में जीका वायरस के पॉजिटिव कैसे मिले थे।
अब केरल में मिले निपाह वायरस के बाद महाराष्ट्र के कोल्हापुर के इचककरंजी में जिका वायरस के दो मामले मिले हैं महाराष्ट्र राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि करते हुए बताया कि यहां जीका वायरस से संक्रमित एक मरीज 78 साल का जबकि दूसरा मरिज 75 साल का है। जैसे ही महाराष्ट्र में जीका वायरस के दो के सामने आए राज्य के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। बेशक जीका वायरस हमारी सावधानी से फैलने से रुक गया, लेकिन यह कोरोनावायरस से ज्यादा घातक और जानलेवा साबित होता है। खास बात यह है कि जीका वायरस भी मच्छर के जरिए ही इंसान के शरीर में फैलता है। जीका वायरस के बारे में अभी तक भारत ही नहीं बल्कि एशिया महाद्वीप में जागरूकता की कमी है।
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जीका के डेंगू व चिकनगुनिया जैसे ही लक्षण | Nipah Virus
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार जीका वायरस मच्छर से फैलने वाला वायरस है, जो एडीज एजिप्टी नाम की प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मच्छर अक्सर दिन के समय काटता है। खास बात यह है कि यह वही मच्छर है जो डेंगू और चिकनगुनिया फैलता है। हालांकि ज्यादातर लोगों के लिए जीका वायरस का संक्रमण कोई गंभीर समस्या नहीं होती, लेकिन इसकी चपेट में जब गर्भवती महिलाएं आ जाती है तो उनके पेट में पल रहे भ्रूण के लिए यह वायरस खतरनाक साबित हो सकता है। 2021 में कानपुर में ऐसा ही हुआ था।
लौटते मॉनसून में डेंगू भी प्रकोप | Nipah Virus
वर्तमान में जो मौसम चल रहा है, इसमें दिल्ली में हरियाणा पूरी तरह से डेंगू की चपेट में है। ऐसी स्थिति में केंद्र व राज्य सरकारों के साथ आमजन की भी यह ड्यूटी बनती है कि वह सावधान रहे। विशेषकर दिन के समय पूरी बाजू के कपड़े पहनने से इस मच्छर के प्रकोप से बचा जा सकता है। कोविड-19 की तो वैक्सीनेशन वर्तमान में पूरे विश्व में उपलब्ध है,लेकिन जीका वायरस व डेंगू की अब तक भी कोई वैक्सीनेशन उपलब्ध नहीं है। यही वजह है की लौटते मानसून के दौरान लगभग अक्टूबर माह तक डेंगू का प्रकोप दिल्ली में आसपास के राज्यों में बना रहता है।
चौथी बार भारत आया निपाह
अब बात आती है 1998 में मलेशिया में सामने आए निपाह वायरस की। निपाह वायरस ने चौथी बार भारत में अपना प्रकोप दिखाया है। खास बात यह है कि जब भी निपाह वायरस के पॉजिटिव केस मिले। सबसे पहले भारत के दक्षिणी राज्य केरल में ही मिले। इस बार जितने भी पॉजिटिव कैसे मिले हैं, उनका वेरिएंट बांग्लादेशी मिला है। इस वेरिएंट की खासियत तो यह है कि है ज्यादा नहीं फैलता,लेकिन खतरनाक बात यह है कि बांग्लादेशी निपाह वायरस की मृत्यु दर अधिक है। इसलिए हमें इस बात पर निर्भर नहीं रहना चाहिए कि निपाह वायरस फैलेगा नहीं। बल्कि इस बात की ओर आगे बढ़ना चाहिए इसको रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं? केरल राज्य में पिछले माह निपाह वायरस के कारण जब पहली मौत हुई थी, तब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी।
निपाह को लेकर एकमत नहीं थी केंद्र व राज्य सरकार
इसको लेकर केंद्र व राज्य सरकार एकमत नहीं थे। केंद्र सरकार जहां निपाह वायरस की पुष्टि कर चुकी थी, तो वहीं केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने तब तक पुष्टि करने के लिए मना कर दिया था। जब तक पुणे स्थित प्रयोगशाला से रिपोर्ट नहीं आ जाती। अब रिपोर्ट भी आ चुकी है। वह निपाह वायरस की पुष्टि भी हो चुकी है। अब केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज इस बात की भी पुष्टि कर चुकी है कि 1080 लोग निपाह वायरस पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आ चुके हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि केरल सरकार ने कोझिकोड के आसपास कंटेनमेंट जोन बनाते हुए लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में 24 सितंबर तक सभी स्कूल कॉलेज सहित विभिन्न प्रकार के शिक्षण संस्थानों को बंद करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। यह सरकार का जरूरी व अच्छा कदम माना जा सकता है।
निपाह की कोई वैक्सीन नहीं, सावधानी ही बचाव
25 साल पहले सामने आए निपाह वायरस की अब तक भी कोई भी देश वैक्सीन नहीं बन सका है। दूसरा निपाह वायरस से पॉजिटिव लोगों के मौत की प्रतिशतता भी 40 से 75 फीस दिए यह पुष्टि हम नहीं कर रहे बल्कि खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन कर रहा है। निपाह वायरस कोरकर वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईसीएमआर भारत, केंद्र सरकार व केरल राज्य ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।
जूनोटिक वायरस है निपाह
यह प्रमाणिक हो चुका है की निपाह वायरस जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में व इंसानों से इंसानों में फैल सकता है। वर्तमान में हालांकि केंद्र सरकार ने निपाह वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने स्तर पर पाबंदियां बढ़ा दी हैं,लेकिन ऐसे वक्त में सरकार के साथ-साथ आमजन को भी सरकारी आदेशों की पालना करनी चाहिए, ताकि ऐसे खतरनाक वायरस को फैलने से रोका जा सके।
ताकि बचा रहे स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान न हो
कोविड-19 के दौरान मास्क सहित जो सावधानियां अपनाई गई थी। इसी प्रकार की सावधानियां अभी भी बरतने की जरूरत है, ताकि समय रहते निपाह वायरस को फैलने से रोका जा सके। हम सभी को एक बात जरूर याद रखनी चाहिए कि जब भी कोई इस तरह की बीमारी या महामारी देश या विश्व में फैलती है तो एक तरफ जहां आमजन के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। वहीं संबंधित देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका पूरा असर पड़ता है। कोविड-19 के दौरान पूरे विश्व की बिगड़ी अर्थव्यवस्था का उदाहरण सबके सामने है। इसलिए ऐसी बीमारियों से सबको मिलकर लड़ना होगा।