बचाव के लिए कृषि अधिकारियों की नई योजना
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा में तापमान 35 डिग्री के समीप रहने और उमस ज्यादा होने के चलते कृषि वैज्ञानिकों को सफेद मक्खी पैदा होने का डर सता रहा है। मौसम सफेद मक्खी के अनुकूल है और इसकी एक वजह बरसात का न होना है। ऐसे में सफेद मक्खी पैदा होकर कपास की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। पूर्व में भी इसी तरह का मौसम बनने पर सफेद मक्खी ने कहर बरपाया था। 2015 से लेकर 2021 तक कई बार सफेद मक्खी ने फसल को नुकसान पहुंचाया।
सबसे बड़ा नुकसान तो वर्ष 2015 में 70 प्रतिशत फसल खराब होने के साथ हुआ। कृषि अधिकारियों के अनुसार सफेद मक्खी को लेकर किसानों को अलर्ट रहना होगा। प्रतिदिन खेत में जाकर पत्ते के नीचे के भाग को देखना होगा। यदि वहां पर सफेद मच्छर दिखे जो उड़ता है तो ऐसी स्थिति में इसकी सूचना विभाग को भी दें और जिस कीटनाशक की सिफारिश की गई है उसका छिड़काव भी करें। उनका कहना है कि सफेद मक्खी को शुरु में कंट्रोल किया जा सकता है और यदि लापरवाही की जाए तो फिर इसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है।
सरसा के मल्लेकां क्षेत्र में सफेद मक्खी नरमा में आने की जानकारी कृषि अधिकारियों को मिली है। कृषि अधिकारी खेतों में जाएंगे और इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार इस मौसम की यह पहली सूचना है। कृषि अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में सफेद मक्खी को लेकर फील्ड में जांच करेंगे और किसानों को भी जागरूक करेंगे।
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2020 में सफेद मक्खी व उखेड़े से 70 हजार एकड़ में हुआ था नुकसान:
सरसा में इस समय दो लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई की हुई है। 2020-21 में भी इतना ही क्षेत्रफल रहा। 2020 में सफेद मक्खी व उखेड़ा रोग के कारण 69673 हेक्टेयर में नरमा कपास को नुकसान पहुंचा था। बडागुढ़ा क्षेत्र में 75 प्रतिशत नुकसान हुआ था जबकि सरसा व ऐलनाबाद में औसत 50 प्रतिशत नुकसान माना गया था।
- सरसा में अभी सफेद मक्खी का प्रकोप नहीं है लेकिन मौसम सफेद मक्खी के अनुकूल है। किसान को आठ से दस सफेद मक्खी किसी पत्ते पर दिखाई दे तो इसकी सूचना विभाग को जरूर दें। किसान प्रतिदिन खेत में जाकर पत्तों को जरूर देखें।
– डॉ. बाबूलाल, कृषि उपनिदेशक।