देश में मॉनसून का आगाज होने वाला है। इसके साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रेदश, तमिलनाडु और बिहार सहित पूरे देश में किसान धान की खेती में लग जाएंगे। ऐसे तो पूरे देश में धान की कई किस्मों की खेती की जाती है, लेकिन बासमती के क्या कहने! इसका कोई तोड़Þ नहीं है। यह अपने स्वाद, सुगंध के लिए मशहूर है। आपको बता दें कि बासमती धान की भी कई किस्में होती हैं और सबका अपना-अपना स्वाद और फ्लेवर होता है। अगर किसान भाई बासमती धान की खेती करने का प्लान बना रहे हैं, तो उन्हें आज ऐसी किस्मों के बारे में बताया जा रहा है जिससे बंपर पैदावार मिलेगी।
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बासमती धान की किस्में | (Cultivation of Basmati Rice)
पूसा 834: पूसा 834 उच्च उपज वाली बासमती धान की एक बेहतरीन किस्म है। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है। इसमें रोग से लड़ने की क्षमता अधिक पाई जाती है। इसके ऊपर झुलरा रोग का कोई असर नहीं पड़ेगा। पूसा 834 अर्ध- बौनी किस्म है। तेज हवा और आंधी चलने पर भी इसकी फसल खेत में नहीं गिरती है। खास बात है कि यह किस्म 125 से 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। यानी कि 130 दिन बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं। अगर पैदावार की बात करें तो 6-7 टन धान आप प्रति हेक्टेयर उत्पादित कर सकते हैं।
पंत धान-12: पंत धान 12 बासमती की एक बेहतरीन किस्म है। यह कम समय में ही पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज क्षमता भी अन्य बासमती किस्मों के मुकाबले अधिक है। अगर किसान भाई इसकी खेती करते हैं, तो 110 से 115 दिन में ही फसल पक कर तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर आपको 7-8 टन उपज मिलेगी। पंत धान 12 को भी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पंत यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है। इसी लिए इसका नाम पंत दिया गया।
यह बासमती (Cultivation of Basmati Rice) की एक उच्च उपज वाली किस्म है। इसे शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने तैयार किया है। यह भी एक अर्ध-बौनी किस्म है। ऐसे में तेज हवा का उसके ऊपर कोई असर नहीं पड़ता है। यह एक सिंचित धान की किस्म है, जिसकी सबसे अधिक खेती जम्मू- कश्मीर में की जाती है। इसकी फसल को तैयार होने में 135 से 140 दिन लग जाते हैं। इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 6-7 टन है। यह सूखा, जलभराव और खारे पानी का भी असानी से सहन कर सकती है।
पूसा-1401: पूसा-1401 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विकसित किया है। यह एक बासमती धान की अर्ध- बौनी किस्म है। इसकी फसल को आप 135 से 140 दिन बाद काट सकते हैं। इसकी खेती नॉर्थ इंडिया के सिंचित क्षेत्रों में की जाती है। इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 4-5 टन है।