Gulab Ki Kheti : गुलाब की खेती

Gulab-Ki-Kheti
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मानसून के साथ ही शुरू हो जाएगी गुलाब की रोपाई

(Gulab Ki Kheti)

‘‘कभी तो फैलेगी बाग-ए-हयात में खुशबू, गुलाब खिल के फजा को गुलाब कर देगा।’’ (Gulab Ki Kheti) कौसर सीवानी की ये पंक्तियां Gulab के महत्व को बखूबी बयां करती हैं। ब्याह, शादियों से लेकर हर खुशनुमा पल में ये फूल अपनी रंगत बिखेरता है। ये न सिर्फ चेहरे पर रौनक ला देता है बल्कि जीने का अंदाज भी बताता है।घाटे की मार झेल रहे किसानों के चेहरों पर भी गुलाब बड़ा मुनाफा देकर बड़ी सी मुस्कान बिखेर रहा है। गुलाब की खेती से किसान परंपरागत खेती से कहीं अधिक लाभ कमा रहे हैं। अच्छा खास मुनाफा कमा रहे हैं। फूलों की बढ़ती मांग और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बड़ी फूल मंडी उपलब्ध होने से इनकी बिक्री की कोई समस्या नहीं है। जैसे फलों का राजा आम है तो फूलों की बेगम गुलाब है।

भूमि, समय व पौधे लगाने का ढंग |

जैविक कार्बनिक पदार्थ युक्त अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी जिसका पीएच छह से आठ के बीच हो गुलाब के लिए उपयुक्त रहती है। गुलाब के लिए शुष्क ठंडा दिन का तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट वाला मौसम उपयुक्त है। गुलाब को लगाने का समय मानसून के दिनों में जुलाई, अगस्त व सितंबर है। सितम्बर-अक्टूबर में तो यह भरपूर उगाया जाता है। गुलाब लगाने की सम्पूर्ण विधि और प्रक्रिया अपनाई जाए तो यह फूल मार्च तक अपने सौंदर्य, सुगंध और रंगों से न केवल हमें सम्मोहित करता है बल्कि लाभ भी देता है। पौधे लगाने से एक माह पूर्व दो से तीन फुट की दूरी पर दो से ढाई फुट गहरे गड्ढे बनाएं तथा व्यास दो फुट रखें। गड्ढे में पांच किलो गोबर की खाद व 20 मि.ली. क्लोरोपाइरीफोस मिलाकर गड्ढा भरकर पानी लगा दें।

कहां-कहां प्रयोग होता है गुलाब |

पौधे तैयार करना: गुलाब के पौधे कलम, इनरचिंग व लेयरिंग विधि से तैयार कर सकते हैं। कलमी पौधे तैयार करने हेतु मूलवृंत रोजा इंडिका, वर्षोनिया, ओडारोटा या रोजा मल्टीफ्लोरा से कलम लेकर 10 से 1 सेमी फासले पर मध्यम सितंबर से मध्य अक्टूबर तक लगा दें। इन कलमों पर आए फुटाव पर जनवरी-फरवरी में उन्नत किस्म के पौधे से आंख लेकर चढ़ा देनी चाहिए। आंख चढ़ाने का काम मार्च तक भी कर सकते हैं। देशी गुलाब के पौध कटिंग द्वारा तैयार किए जाते हैं।

खाद व उर्वरक

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 20 टन गोबर की गली-सड़ी खाद, 320 किलो यूरिया, 500 किलो सिंगिल सुपर फासफेट,128 किलो म्यूरेट पोटाश प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है। यूरिया की आधी मात्रा तथा शेष सभी खाद मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक डाल देनी चाहिए। बाकि बची यूरिया एक माह बाद डालनी चाहिए। जिंक, मैगनिशियम व मैगनीज सल्फेट में प्रत्येक का 0.3 प्रतिशत घोल नवंबर व फरवरी में छिड़काव करना चाहिए। सर्दियों में 10 दिन व गर्मियों में पांच-छह दिन के अंतर सिंचाई करते रहें।

ये हैं गुलाब की हाइब्रिड किस्में

वैसे तो विश्व भर में गुलाब की किस्मों की संख्या लगभग 20 हजार से अधिक है, जिन्हें विशेषज्ञों ने विभिन्न वर्गों में बांटा है लेकिन तक्तीकी तौर पर गुलाब के 5 मुख्य वर्ग हैं, जिन का फूलों के रंग, आकार, सुगंध और प्रयोग के अनुसार विभाजन किया गया है, जो इस प्रकार है: हाईब्रिड टीज, फ्लोरीबंडा, पोलिएन्था वर्ग, लता वर्ग और मिनिएचर वर्ग।

ये हैं अच्छी किस्में

  • राजहंस
  • जवाहर
  • बिरगो
  • गंगा सफेद
  • मृगालिनी गुलाबी
  • मन्यु डिलाइट नीला
  • मोटेजुमा
  • चार्लस मैलारिन गाढ़ा लाल
  • फलोरीवंडा समूह की चंद्रमा सफेद
  • गोल्डन टाइम्स पीला व जगुआर
  • बटन गुलाब समूह की क्राई-क्राई
  • देहली स्कारलेट
  • लता गुलाब समूह के देहली व्हाइट
  • पर्ल
  • डीरथा पर्मिन

सबसे पुराना सुगन्धित पुष्प

गुलाब एक ऐसा फूल है, जिसके बारे में सब जानते हैं। गुलाब का फूल दिखने में जितना अधिक सुन्दर होता है। उससे कहीं ज्यादा उसमें औषधीय गुण होते हैं। यह सबसे पुराना सुगन्धित पुष्प है, जो मनुष्य के द्वारा उगाया जाता था। गुलाब अपनी उपयोगिताओं के कारण सभी पुष्पों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। आमतौर पर गुलाब का पौधा ऊंचाई में 4-6 फुट का होता है। तने में असमान कांटे लगे होते हैं। गुलाब की 5 पत्तियां मिली हुई होती हैं। बहुत मात्रा में मिलने वाला गुलाब का फूल गुलाबी रंग का होता है। गुलाब का फल अंडाकार होता है। इसका तना कांटेदार, पत्तियां बारी-बारी से घेरे में होती है। पत्तियों के किनारे दांतेदार होती है। फल मांसल बेरी की तरह होता है जिसे ‘रोज हिप’ कहते हैं। गुलाब का पुष्पवृन्त कोरिम्बोस, पेनीकुलेट या सोलिटरी होता है।

गुलाब का व्यवसाय

गुलाब की खेती व्यावसायिक स्तर पर करके काफी लाभ कमाया जा सकता है। गुलाब की खेती बहुत पहले से पूरी दुनिया में की जाती है। इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में व्यवसायिक रूप से की जाती है। गुलाब के फूल डाली सहित या कट फ्लावर तथा पंखुड़ी फ्लावर दोनों तरह के बाजार में व्यापारिक रूप से पाए जाते है। गुलाब की खेती देश व विदेश निर्यात करने के लिए दोनों ही रूप में बहुत महत्वपूर्ण है। गुलाब को कट फ्लावर, गुलाब जल, गुलाब तेल, गुलकंद आदि के लिए उगाया जाता है। गुलाब की खेती मुख्यत: कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्रा, बिहार, पश्चिम बंगाल ,गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है।

जलवायु और भूमि

गुलाब की खेती उत्तर एवं दक्षिण भारत के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में की जाती है। दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम माना जाता है। गुलाब की खेती हेतु दोमट मिट्टी तथा अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिए। जिसका पी.एच. मान 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है।

 ये हैं गुलाब की किस्में

  • भारत में उगाई जाने वाली गुलाब की परम्परागत किस्में हैं।
  • जो देश के अलग-अलग इलाकों में उगाई जाते हैं।
  • विदेशों से भी अलगअलग किस्में मांगा कर उन का ‘संकरण’ (2 किस्मों के बीच क्रास) कर के अनेक नई व उन्नत किस्में तैयार की गयी हैं।
  • जो अब अपने देश में बहुत लोकप्रिय हैं।
  • गुलाब की विदेशी किस्में जर्मनी, जापान, फ्रास, इंग्लैण्ड, अमेरिका, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया से मंगाई गयी हैं।
  • भारतीय गुलाब विशेषज्ञों ने देशी किस्मों में भी नयी विकसित ‘संकर’ (हाईब्रिड) किस्में जोड़ कर गुलाब की किस्मों की संख्या में वृद्धि की है।
  • इस दिशा में दिल्ली स्थित भारती कृषि अनुसंधान संस्थान का अनुसंधान कार्य खास उल्लेखनीय है।

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