करेले की स्टार किस्म की खेती एक कम लागत, अधिक मुनाफा देने वाली है
- मिट्टी व इंसान के लिए लाभदायक है करेला | Karela ki Kheti
डॉ. संदीप सिंहमार। Bitter gourd cultivation: खेती एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें संतुलन और सही समय पर सही निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। गेहूं और सरसों की कटाई के बाद खाली पड़े खेतों का सही उपयोग करने के लिए करेले की सब्जी के बीज बोना एक उत्तम विकल्प हो सकता है। इस निर्णय के पीछे कई कारण हैं, जो इसकी खेती को न केवल लाभकारी बनाते हैं, बल्कि इसे किसानों के लिए एक प्रभावी आय का स्रोत भी बनाते हैं। Karela ki Kheti
सबसे पहले, करेले की सब्जी की बाजार में बहुत डिमांड है। लोग इसके स्वास्थ्य लाभों और स्वाद के कारण इसे अपने भोजन में शामिल करना पसंद करते हैं। करेले में विटामिन, मिनरल्स और एंटीआॅक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं। इस प्रकार, करेले की खेती एक व्यावसायिक संपत्ति है, क्योंकि यह किसानों को अच्छी बिक्री और आय का आश्वासन देती है।
लागत कम, मुनाफा ज्यादा | Karela ki Kheti
करेले की खेती में प्रारंभिक लागत बहुत कम होती है। इसका मतलब है कि किसान कम निवेश करके बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जब गेहूं और सरसों की मुख्य फसलें कट जाती हैं, तो किसान खाली खेतों को खाली नहीं छोड़ते। इसके बजाय, करेले की बीजों को बोकर वे अपनी फसल की प्राप्ति सकते हैं और इसका उचित मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं।
स्टेम किस्म की खेती करें
करेले की स्टेम किस्म की खेती विशेष रूप से गर्मियों में अधिक उपयुक्त होती है। यह किस्म तेज गति से बढ़ती है और कम दिनों में तैयार हो जाती है। इससे किसानों को फसल की जल्दी प्राप्ति होने के साथ-साथ आय का भी जल्दी स्रोत मिलता है।
बढ़ती है मिट्टी की उत्पादन शक्ति
खेतों में करेले की सब्जी उगाने से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। करेले के पौधे मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे भविष्य में होने वाली फसलों के लिए भी फायदेमंद होता है। Karela ki Kheti
व्यावसायिक खेती की तरफ बढ़ें
आर्थिक मजबूती के रूप से देखा जाए तो, गेहूं और सरसों की कटाई के बाद खाली पड़े खेतों में करेले की सब्जी के बीज बोना एक व्यावसायिक और भविष्य के लिए लाभकारी निवेश साबित हो सकता है। यह न केवल किसान के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा में भी योगदान देता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि किसान इस सफल खेती के अवसर का पूरा लाभ उठाएं।
अप्रैल से जून तक का समय सबसे उपयुक्त
करेले की खेती में “स्टार किस्म” विशेष रूप से प्रचलित है। यह किस्म विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभकारी है, जो अपनी फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। अप्रैल से जून का महीना करेंले की स्टार किस्म की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान, जलवायु परिस्थितियाँ इस फसल की वृद्धि के लिए अनुकूल होती हैं। धूप और तापमान में संतुलन होने के कारण, करेले की वृद्धि तीव्र गति से होती है।
इसके लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें तो, अच्छी जल निकासी वाली, रेतीली से रेतीली-दोमट मिट्टी सबसे योग्य मानी जाती है। ऐसी मिट्टी में करने के परिणामस्वरूप पौधे आसानी से विकसित होते हैं और उन्हें जल भराव जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। Karela ki Kheti
जैविक खाद प्रयोग करें
करेले के पौधे बुवाई के माध्यम से लगाये जाते हैं, जो विशेष रूप से स्टार किस्म के बीज से होते हैं। खेती के दौरान जैविक खाद का उपयोग होने से न केवल पौधों की वृद्धि में सहायता मिलती है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। जैविक खाद मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करती है और निरंतरता से फसल की पैदावार में वृद्धि करती है।
55 दिनों में तैयार हो जाती है खेती
करेले की स्टार किस्म की फसल लगभग 55 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके ताजे फल न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जैसे कि रक्त शुगर स्तर को नियंत्रित करना और पाचन तंत्र को बेहतर बनाना। – सच कहूँ डेस्क
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