झज्जर (सच कहूँ/संजय भाटिया)। समाज में अधिकतर देखा जाता है कि जिनकी सरकारी नौकरी होती है दहेज को लेकर उनके सपने भी ऊंचे होते है। सरकारी नौकरी को देखते हुए यह भी देखने में आता है कि कई बार लड़की वाले ही सरकारी नौकरी करने वाले को दहेज बिना कहे देते हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिन्होंने बिना दहेज के शादी कर एक मिसाल कायम की है। हम बात कर रहे हैं चिमनी, बेरी क्षेत्र के निवासी व महेंद्रगढ़ में सीटीएम (CTM Dr. Mangalsen) के पद पर कार्यरत डॉ. मंगलसेन पुत्र दलबीर की, जिन्होंने बिना दहेज लिए हिन्दू रीति रिवाज के साथ शादी की।
सीटीएम डॉ. मंगलसेन (CTM Dr. Mangalsen) की शादी स्व. जयकरण की पुत्री स्मृति के साथ हुई। दुल्हन स्मृति ऑक्शन रिकॉर्डर है। दुल्हन के पिता जयकरन पटवारी के पद पर कार्यरत थे और दुल्हन स्मृति की माँ श्यामा देवी डीसी कार्यालय में गु्रप डी कर्मचारी हैं। दूल्हे के पिता दलबीर सिंह ने बताया कि समाज में फैली बुराइयों को दूर करने की जिम्मेदारी हम जैसे पढ़े-लिखे लोगों पर है। हमने पहले ही तय कर लिया था कि हम अपने बेटे की शादी में किसी भी तरह का दहेज नहीं लेंगे। हमारी नजर में दुल्हन ही दहेज है।
डॉ. मंगल (CTM Dr. Mangalsen) के पिता दलबीर ने बताया कि बिना दान के चावल भरने की रस्म अदा की गई। दलबीर का कहना है कि उसने दहेज नहीं लेने के साथ ही चावल में सिर्फ नारियल भरने की रस्म निभाई। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने नवविवाहितों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
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