राजस्थान की साध-संगत ने उत्साह, नई उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा
- 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार, 11 परिवारों को राशन और पक्षियों के चोगा पानी रखने के लिए बांटे 175 परिंडे
- संत, पीर, फकीर दुनिया में सच की राह दिखाने आते है: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
- कहा, खुदी और अहंकार आदमी को डुबो देता है
श्रीगंगानगर (सच कहूँ न्यूज)। मानवता भलाई कार्यों के लिए विश्व विख्यात सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के 75वें रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा रविवार को श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar) में राजस्थान प्रदेश की साध-संगत द्वारा उत्साह, नई उमंग व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पावन भंडारे की खुशी में शहर के एसडी बिहानी महाविद्यालय के खेल मैदान व रामलीला ग्राउंड में प्रदेशस्तरीय विशाल रूहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया।
जिसमें राजस्थान प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान भीषण गर्मी के बावजूद डेरा अनुयायियों का अपने मुर्शिद ए कामिल के प्रति समर्पण, अटूट श्रद्धा और विश्वास देखते ही बन रहा था तथा श्रद्धालुओं के जोश और जूनुन के आगे प्रबंधन द्वारा किए गए सारे प्रबंध छोटे पड़ गए। रूहानी नामचर्चा कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पूरा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया। इतना ही नहीं आलम ये था कि सड़कोंं पर डेरा श्रद्धालुओं के वाहनों का काफिला रेंगता नजर आया तथा यह क्रम नामचर्चा समाप्ति तक अनवरत जारी रहा।
हालांकि प्रबंधन द्वारा मुख्य ग्राउंड एसडी बिहानी महाविद्यालय के अलावा भी रामलीला ग्राउंड में भी पंडाल बनाया गया था। लेकिन दोनों पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गए। नामचर्चा के दौरान राजस्थान की साध-संगत ने 156 मानवता भलाई कार्यों के तहत जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार, फूड बैंक मुहिम के तहत 11 जरूरतमंद परिवारों को एक-एक महीने का राशन व पक्षियोंद्वार मुहिम के तहत 175 मिट्टी के सकोरे (परिंडे) बांटे गए।
रूहानी स्थापना माह के भंडारे की खुशी में आयोजित प्रदेशस्तरीय विशाल नामचर्चा की शुरूआत 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर की गई। बाद में कविराजों ने अरदास व अन्य खुशी प्रथाए सुंदर शब्दवाणी के माध्यम गुरु महिमा का गुणगान किया। तत्पश्चात पंडाल में लगाई गई दर्जनभर बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों पर पूज्य गुरु जी के रिकॉर्डिड रूहानी वचनों को चलाया गया। जिसे साध-संगत ने एकाग्रचित्त होकर सुना।
वहीं इससे पहले उपस्थित साध-संगत ने एक साथ धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा बोलकर पूज्य गुरु जी को डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना माह के शुभ भंडारे की बधाई दी। इस दौरान 25 मार्च 2023 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा भेजी गई 14वीं चिट्ठी साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने राजस्थान व हरियाणा में चलाए गए सफाई महा अभियानों रूपी महायज्ञ में आहुति डालने वाली साध-संगत की भरपूर प्रशंसा की और आशीर्वाद दिया।
नामचर्चा के दौरान पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संत, पीर, फकीर इस दुनिया में सच का राह दिखाने आते हैं। सच की बात बताते हैं। सबका भला करना उनकी जिंदगी का मकसद होता है। कभी भी किसी को किसी भी तरह दुखी देखकर अगर संत, पीर, फकीर के अंदर तड़प पैदा नहीं होती तो वो संत ही नहीं हो सकता। रूहानी संत, सूफी संत का मतलब ही ये है। सच्चा संत समाज में चल रही बुराइयां, कुरीतियां और बुराई को बढ़ावा देने वाली चीजों को रोकने का प्रयास करता है। संत का काम परमपिता परमात्मा की ड्यूटी निभाना होता है। वो इस धरा पर आकर धन-दौलत, जमीन-जायदाद, अपने लिए ऐसा कुछ अर्जित करने की नहीं सोचते।
अगर वो कर्मयोगी होते हैं तो वो जो भी पैसा अर्जित करते हैं वो समाज की भलाई में लगा देते हैं। यही उनका मकसद होता है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि कर्म करना धर्म है और धर्म पर अमल करना ज्ञान है। सिर्फ सुनना ज्ञान नहीं है, सुनकर अमल करना असली बात है। आप संत, पीर, फकीर के सामने बैठो, जितनी मर्जी वाह-वाह करते रहो, जितना मर्जी कुछ कहते रहो, लेकिन अगर कर्मों से बुरे हो तो भोगना आज नहीं तो कल पड़ेगा। संत कभी किसी की मान-बड़ाई में नहीं आते। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु की किसी पाक-पवित्र जगह पर जाता है या किसी संत, पीर, फकीर के सामने और आप ये सोच लेते हो कि आप अपनी बातों से संतों को खुश करके कोई नयामत खरीद लोगे तो यह आपका भ्रम है। इस भ्रम में मत जीओ। कर्म करो और ज्ञान योगी बनो।
पूज्य गुरु जी ने आगे कहा कि संत जो ज्ञान बताएं, धर्मों के पाक-पवित्र ग्रन्थ, गुरु साहिबान, पीर-पैगम्बर, ऋषि-मुनि, जो ज्ञान बताया उन्होंने, जो उन पर अमल करता है वो ही पवित्र जगहों पर जाकर खुशियां हासिल कर सकता है। वो तो अपने घर में रहकर भी खुशियां ले सकता है, फिर संतों के पास जाना क्यों? आदमी माने या ना माने जब संतों के रूबरू होते हो ना आप, पवित्र जगहों के पाक-पवित्र ग्रन्थों के सामने नतमस्तक होते हो ना आप तो एक पॉजीटिव वेवस, किरणें आती हैं, स्वस्थ किरणें, जो आपको उकसाती हैं कि अच्छे कर्म करो और अपनी बुराई को निकाल डालो या मार डालो। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संत, पीर, पैगम्बर ओउम, हरि, अल्लाह के बहुत ज्यादा करीब होते हैं। वो परमपिता परमात्मा के वो नुमाइंदे होते हैं और जन-जन के सेवादार होते हैं।
जो पीर, फकीर सेवादार हैं तो उसकी औलाद को मालिक बनने के लिए नहीं सोचना चाहिए। यानी जिसके गुरु, संत, पीर-पैगम्बर में दीनता नम्रता हो, उसके भक्त में अहंकार नाम की चीज तो आसपास भी नहीं फटकनी चाहिए। अगर आप में आ रही है तो अपने आप को लाहनत दिया करें थोड़ी देर के लिए, ताकि वो चीज आपसे दूर हो जाए। क्योंकि खुदी, अहंकार आदमी को डुबो देता है। मन जालिम, इतना जालिम है कि आदमी को कभी भी गड्ढे में गिराकर चारों खाने चित्त कर देता है। सार्इं जी ने एक जगह लिखा हुआ है, स्वामी जी महाराज ने गुरु कहे करो तुम सोई, मन के मते चलो मत कोई, ये भव में गोते खिलवावे, ये गुरु से बेमुख करवावे। नफ्Þज, शैतान, मन जो आपके अंदर रहता है, नैगेटिव थॉट्स (नकारात्मक विचार) जो माइंड को देता है। वो मन है, नफ्ज, शैतान है। जो पॉजीटिव थॉट्स देती है, सकारात्मक सोच देती है वो आत्मा है, वो रूह है, तो उसकी सुनो। अहंकार ना करो।
नामचर्चा में कविराजों भजनवाणी के माध्यम से प्रभु परमात्मा का यशोगान किया। कविराजों ने दिल करदा सतगुरु तैनू कोल बिठा के तकदा रहा…, संत हुंदे ने पर उपकारी, भला करन सारे जग दा…, मेरी शान च फरक नहीं पैंदा जे नच के मनावा पीर नूं…, पी ओ प्रेमियां पी प्रेम प्याला पी…, आदि भजन बोलकर साध-संगत को लाभांवित किया।
देश भक्ति व नशा मुक्त समाज के लिए पूज्य गुरु जी द्वारा गाए गए गीत मेरे देश की जवानी को चलाया गया। जिस पर साध-संगत ने नाचगाकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस शब्द को देश-विदेश में खूब पसंद किया जा रहा है और अब तक 11 मिलियन से अधिक लोग इसे देख चुके है।
नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा किए जा रहे 156 मानवता भलाई कार्यो में शामिल 89 वें कार्य इन्सानियत। जिसके तहत डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए सार्वजनिक स्थानों पर घूमते बेसहारा लोगों की सुध लेते हुए उनकी संभाल करते और उनका इलाज कराकर उन्हें उनके परिवार से मिलाते है। इसी से संबंधित एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। जिसके माध्यम से आमजन को इन बेसहारा, गुमशुदा व मंदबुद्धि लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया गया।
नामचर्चा में पहुंची साध-संगत के लिए स्थानीय श्रद्धालुओं की ओर से व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए थे। गर्मी के मौसम के मद्देनजर जगह-जगह श्रद्धालुओं के पीने के लिए ठंडे पानी की छबीले लगाई गई थी। (Sri Ganganagar) इसके अलावा साध-संगत के लिए लंगर-भोजन व प्रसाद की विशेष प्रबंध किया गया था। नामचर्चा की समाप्ति पर मात्र कुछ ही मिनटों में साध-संगत को लंगर-भोजन छकाया गया। इसके लिए ट्रेफिक व्यवस्था संभालने के लिए भी डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने डयृटियां संभाली हुई थी।
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