- नोट की चोट: वाघा-अटारी पर भी नोटबंदी का असर, पाकिस्तान से ट्रक आने बंद
- पहले रोजाना 150 से ज्यादा ट्रक आते थे पाक से
- मजदूरों को भी नहीं मिल पा रही तनख्वाह
ChandiGarh, Anil Kakkar: प्रदेश में कालाधन पर चोट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद से अमृतसर के अटारी-वाघा पर क्रॉस बॉर्डर व्यापार में बड़ी कम नज़र आई है। हालात यहां तक है कि पाकिस्तान से गत दिनों एक भी ट्रक भारत में माल लेकर नहीं आया। कैश की कमी के कारण इधर के लगभग 1500 मजदूरों की तनख्वाहें रुकी हुई हैं। बता दें कि आम दिनों में पाकिस्तान से अटारी-वाघा बॉर्डर से करीबन 150 से ज्यादा ट्रक भारत में विभिन्न तरह का सामान लेकर पहुंचते हैं। जो कि भारत के बाजारों में बेचा जाता है। इन ट्रकों से माल-उतारने, लादने के लिए इंटेग्रेटिड चैक पोस्ट (आईसीपी) पर करीबन 1433 मजदूर रजिस्टर्ड हैं। जो कि महीने भर में मजदूरी से 12 से 15 हजार रुपए कमाते हैं। लेकिन नोटबंदी के बाद से बॉर्डर पार से ट्रक आना कम होते गए और अब हालात ये हैं कि एक भी ट्रक पाकिस्तान से भारत में दाखिल नहीं हो रहा। इसकी मुख्य वजह करंसी का कैश में न होना है। इधर के मजदूरों को व्यापारी उनकी मजदूरी के बदले में कैश नहीं दे पा रहे जिस कारण मजदूरों ने यहां ट्रक खाली करने से मना कर दिया है। एक अंग्रेजी दैनिक के अनुसार इन मजदूरों को लगभग 5 से 7 लाख रुपए कैश मजदूरी के रूप में दिए जाते हैं। मजदूरों के प्रतिनिधि बलविंद्र सिंह का कहना है कि पिछले 15 दिनों से उन्हें उनकी मजदूरी नहीं मिली। उनके परिवार बेहद आर्थिक तंगी से गुज़र रहे हैं। इसकी वजह व्यापारियों के पास कैश का न होना है। बलविंद्र ने बताया कि उरी हमले व सर्जीकल स्ट्राइक के बाद जब बॉर्डर पर गांव खाली करवा दिए गए थे तब भी पाकिस्तान से सामान लेकर ट्रक निरंतर आते रहे उन्हें रोका नहीं गया लेकिन नोटबंदी के बाद अब ट्रक आना बंद हो गए हैं। वहीं प्राइवेट कंपनी पंजाब कंटेनर सर्विस (पीसीएस) के मैनेजर का कहना है कि वे मजदूरों को उनका वेतन आॅनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कह रहे हैं लेकिन मजदूर पैसा कैश में चाहते हैं। वे एटीएम और बैंकों की लंबी लाइनों में खड़े नहीं होना चाहते।