करोड़ों लोगों को तकलीफ में डाला
नई दिल्ली (एजेंसी)। नोटबंदी का फैसला नासमझी वाला और जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। यह बड़ी भूल साबित हुआ। इसकी वजह से इकोनॉमी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी और करोड़ों आम लोगों को तकलीफ हुई। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यह बात अपने ट्वीट में लिखी है। उन्होंने रविवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए। “नोटबंदी के एक साल बाद, इस फैसले के लिए हर दावा तुच्छ हो चुका है, इसे खारिज कर दिया गया है और हंसी उड़ रही है।” “अब मुझे तर्क दिया जा रहा है कि नोटबंदी नकली नोटों को खत्म करने के लिए थी। ” “एक साल बाद हमसे कहा गया कि आरबीआई के पास वापस आए 15 लाख 28 हजार करोड़ (बंद किए गए नोटों का मूल्य) रुपए में से 41 करोड़ के नोट नकली थे।
इसलिए, नोटबंदी भारतीय नकली नोटों का जवाब नहीं है।” “नोटबंदी के बाद भी करप्शन हो रहा है, रिश्वत देने और लेने वाले लगातार रंगे हाथों पकड़े जा रहे हैं।” “जहां तक ब्लैकमनी का सवाल है, हर दिन टैक्सेबल इनकम जनरेट होती है। उसका एक हिस्सा ऐसा होता है, जिस पर टैक्स नहीं चुकाया जाता और अलग-अलग मकसद के लिए इसका इस्तेमाल होता है। जैसे- रिश्वत देना, इलेक्शन फंडिंग, कैपिटेशन फीस, जुआ खेलने और लेबर लगाने के लिए।” “नोटबंदी एक नासमझी वाला एकतरफा फैसला था, जो बड़ी भूल साबित हुआ। इकोनॉमी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी और करोड़ों आम लोगों को इसने तकलीफ में डाल दिया।””डेमोक्रेसी में किसी भी चुनी हुई सरकार को लोगों को बेहद तकलीफ और दुख में डालने का कोई हक नहीं है।