किसान रहे सतर्क, समय-समय पर करें अपनी फसल का निरीक्षण
- बीमारी मिलने पर कृषि वैज्ञानिकों से मशवरा कर करें छिड़काव
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। जिले में करीब 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई की गई है। शीतलहर में सरसों की फसल को बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहना होगा। क्योंकि मौसम बदलने से रात का पारा लगातार गिर रहा है। अगर पारा ज्यादा नीचे जाता है तो फसलों में कई बीमारियां फैलने का डर रहता है। इसलिए किसान सरसों सहित अन्य फसलों पर विशेष ध्यान दें और समय समय पर खेतों का निरीक्षण करके कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर छिड़काव करें। यदि सरसों की फसल में सकलैरोटीनियां गलन से बचाने के लिए काबेर्डाजिम दवाई का छिड़काव नहीं किया गया है अभी तक तो उसका छिड़काव जरूर करेंं। इसका प्रयोग 200 ग्राम दवाई 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ करें।
सफेद रतुआ या डाऊनी मिल्ड्य राया के अत्यंत घातक रोग हैं। समय से बचाव करके साधन अपनाकर रोगों से बचा जा सकता है। बचाव के लिए 600 ग्राम डाइथेन एम 45 या इंडोफिल एम 45 या मैन्जेब का 250 से 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें। इस दवाई को चेपा या अल के नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली कीटनाशक में मिलाया जा सकता है। फफूंदनाशक की नित्रंयक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रति 100 लीटर घोल में 10 ग्राम सेल्वेट 99 या 50 मिली लीटर ट्राइटान अवश्य मिला दें।
चेपा से बचाव के लिए यह करें उपाय
सरसों पर चेपा का आक्रमण हो सकता है। ये कीट समूहों में पौधे के ऊपरी सभी भागों का रस चूसकर बहुत हानि करते हैं। यदि 10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर औसतन प्रति पौधो 13 से 15 कीट हों तब इनकी रोकथाम के लिए 250 से 400 मिली लीटर मैटाासिस्टाक्स 25 ईसी या रोगोर 30 ई सी को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। कीटनाशक की मात्रा फसल की बढ़वार पर निर्भर करती है। जरूरत पड़ने पर 15 दिन बाद यही छिड़काव करें। इसी कीटनाशकों से पत्तों में सुरंग बनने वाला कीट भी मर जाता है। किसान मुधमक्खियों को बचाने के लिए छिड़काव दिन में दोपहर दो बजे बाद करें।
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुनील बैनीवाल ने बताया कि इस मौसम में किसान समय समय पर सरसों की फसल का निरीक्षण करते रहे। अगर कोई बीमारी नजर आती है तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर छिड़काव करें।
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