विधायकों के 5 करोड़ फंड पर नियमों का संकट, नीति तैयार नहीं

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Chandigarh News: विधायकों के 5 करोड़ फंड पर नियमों का संकट, नीति तैयार नहीं

बजट में राशि स्वीकृत, लेकिन नियमों के अभाव में अटका आवंटन

  • केवल विधायक ही बांट सकेंगे फंड या एमसी और सरपंचों को भी मिलेंगे अधिकार, नियमों में उलझी पंजाब सरकार

चंडीगढ़ (सच कहूँ/अश्वनी चावला)। Chandigarh News: पंजाब के विधायकों को 5 करोड़ रुपये तक का वार्षिक फंड देने की बजट में वित्त मंत्री हरपाल चीमा द्वारा घोषणा के बाद पंजाब के डिप्टी कमिश्नर और वरिष्ठ अधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि इस फंड का आवंटन कब किया जाएगा और इसे वितरित करने के क्या नियम होंगे। अभी तक इस फंड के लिए न तो कोई नियम बनाए गए हैं और न ही कोई नीति तैयार की गई है, जबकि विधायकों ने इस निजी फंड के बारे में पूछताछ शुरू कर दी है। Chandigarh News

दूसरी ओर, चंडीगढ़ में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि इस फंड को किस विभाग के तहत लाया जाए या फिर डिप्टी कमिश्नर को इसके लिए पूर्ण अधिकार दिए जाएं। चूंकि पंजाब में यह फंड पहली बार दिया जा रहा है, इसलिए पंजाब सरकार द्वारा नियम और नीति तैयार किए जाने के बाद ही इस फंड का प्रयोग शुरू हो सकेगा। इस कारण 5 करोड़ के इस निजी फंड के आवंटन के लिए पंजाब के विधायकों को 5-6 महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है। Chandigarh News

जानकारी के अनुसार, सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जून 2022 के बजट सत्र के दौरान घोषणा की थी कि सांसद सदस्यों की तरह पंजाब में भी विधायकों के लिए निजी फंड तैयार किया जाएगा, जिसका प्रयोग हर विधायक अपनी जरूरत के अनुसार कर सकेगा। भगवंत मान की घोषणा के तीन साल बाद 2025 के बजट सत्र में इस फंड के लिए बजट में प्रावधान किया गया। प्रत्येक विधायक के लिए पांच करोड़ रुपये के हिसाब से कुल 585 करोड़ रुपये बजट में आरक्षित रखे गए हैं। हालांकि, इस आरक्षित फंड को किस विभाग या किन अधिकारियों के माध्यम से खर्च किया जाएगा, इसके लिए सरकार ने कोई तैयारी, नीति या नियम तैयार नहीं किए हैं।बताया जा रहा है कि बजट में घोषणा के बाद अब पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस फंड के लिए नीति और नियम तैयार करने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है।

दिल्ली और महाराष्ट्र की नीति का अध्ययन करेगी पंजाब सरकार

विधायकों को निजी फंड के प्रयोग के लिए नियम और नीति तैयार करने से पहले पंजाब सरकार के अधिकारी दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों का अध्ययन करना चाहते हैं, ताकि नीति और नियम तैयार करने में कोई कमी न रहे। इन दोनों राज्यों के अलावा केरल और त्रिपुरा की नीतियों को देखने पर भी विचार है, लेकिन इन राज्यों और पंजाब में काफी अंतर होने के कारण इनकी नीतियों से ज्यादा बिंदु नहीं लिए जाएंगे।

4 से 6 महीने लग सकता है समय, कैबिनेट देगी मंजूरी | Chandigarh News

पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि विधायकों के निजी फंड को खर्च करने के लिए नियम तैयार करने में 4 से 6 महीने का समय लग सकता है। इसके लिए कई राज्यों के मॉडल का अध्ययन करने के साथ-साथ स्थानीय जरूरतों के अनुसार नियम तैयार किए जाएंगे। यह भी तय करना होगा कि विवेकाधीन फंड की नीति और नियम केवल कैबिनेट में पेश कर मंजूरी ले ली जाए या फिर विधानसभा में बिल के माध्यम से कानून बनाया जाए।

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