पंजाब में शायद कानून व्यवस्था अब नाम की ही रह गई है। प्रदेश में नशा तस्करी, गैंगस्टर, सांप्रदायिक हिंसा चरम पर पहुंच चुकी है। सुरक्षा प्राप्त लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला, शिवसेना नेता सुधीर सूरी व डेरा सच्चा सौदा के सेवादार प्रदीप सिंह की हुई हत्या से सबको ऐसा लग रहा है कि पंजाब में अब गैंगस्टरों, कट्टरपंथियों का राज है। इन हत्याओं के मद्देनजर पंजाब सरकार किसी भी तरह से सुरक्षा व्यवस्था में अपनी विफलताओं पर पर्दा नहीं डाल सकती। यह हिंसा अभी और बढ़ेगी अगर पंजाब में माहौल खराब कर रहे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। डेरा सच्चा सौदा सरसा जोकि सर्वधर्म संगम है व पूरी मानवता को प्रेम व भलाई की शिक्षा दे रहा है, के अनुयायियों पर पिछले काफी समय से श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के आरोप लगाकर डेरा श्रद्धालुओं के खिलाफ नफरत व हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पंजाब में हुई बेअदबी की घटनाओं की दो कमीशन जांच कर चुके हैं, सीबीआई भी इस मामले में जांच कर चुकी है परन्तु असल दोषियों की पहचान होना अभी भी बाकी है। डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालुओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों का कच्चा चिट्ठा नाभा जेल में साजिश रचकर कत्ल किए गए महेन्द्रपाल बिट्टू की जेल डायरी से खुल चुका है, उस ओर कोई भी सरकार व राजनेता ध्यान नहीं दे रहा, जबकि सांप्रदायिकता फैला रहे, हिंसा कर रहे लोगों को सुना व वायरल कर प्रदेश में भय का वातावरण बनाया जा रहा है। डेरा सच्चा सौदा एक नहीं अनेक बार बेअदबी से जुड़े उक्त मामलों में मीडिया के सामने अपना पक्ष व सुबूत पेश कर चुका है कि डेरा व श्रद्धालुओं को राजनीतिक साजिशों के चलते उक्त मामलों में घसीटा जा रहा है और असामाजिक तत्वों को खुली छूट दी जा रही है जिसके चलते वह डेरा श्रद्धालुओं के विरुद्ध हिंसा कर रहे हैं।
पंजाब सरकार व प्रशासन की जो दीन-हीन दशा हो रखी है वह एक तरफ रही, दुखद बात यह है कि पंजाब के समाज में अब जुर्रत रखने वाले नेता भी नहीं रहे, वरना भला क्या ऐसा होता है कि गैंगस्टर धमाचौकड़ी करते फिरें, नफरत फैलाने वाले स्टेज लगा-लगाकर कानून व्यवस्था का मुंह चिढ़ाएं और नेता महज सांत्वना के बोल बोलकर अपना कर्तव्य निभाएं? ईसाई समाज व यूपी-बिहार के लोगों के विरुद्ध भी पंजाब में नफरत को बढ़ाया जा रहा है, जिसके बुरे नतीजे क्या होंगे यह सोचकर भी पंजाब की चिंता होती है। कोई वक्त था पंजाब व पंजाबी पूरे देश की शान थे, लेकिन पिछले कई दशकों से पंजाब में चली अलगाववाद, आतंकवाद, नशा तस्करी, गैंगस्टर चाल ने पंजाब को गरीबी व अराजकता में धकेल दिया है।
पंजाब के गले पड़ रही यह अराजकता एक दिन फिर पूरे पंजाबियों के सर्वनाश का कारण बन सकती है, अगर इसे नहीं रोका गया। पंजाबी भले ही वह हिन्दू है, सिक्ख है, ईसाई, मुस्लमान, दलित या कोई भी पंजाब सबका है, ये मातृभूमि उनकी अपनी है। पंजाब में कोई बाहरी नहीं पिस रहा, यहां मरने वाला हर व्यक्ति पंजाबी है। नफरत व हिंसा की चर्चा पर पंजाब में विराम लगना चाहिए। सरकार की भी जिम्मेवारी है कि वह प्रदेशवासियों को महफूज व खुशहाल बनाए, महज बातों से खून-खराबा नहीं रूकने वाला।
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