साक्षात्कार : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के खेल अध्यक्ष से सच कहूँ की विशेष बातचीत (Cricketer Moksh Murgai )
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बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी मैदान पर जमाई धाक
जसविन्द्र सिंह/सच कहूँ नई दिल्ली। ‘क्रिकेट में कड़ी मेहनत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन जीवन में सफल होने के लिए भाग्य भी मायने रखता है।’ ये कहना है युवा क्रिकेटर मोक्ष मुरगई का। नेशनल स्तर का यह युवा एथलीट दिल्ली के उन संघर्षरत क्रिकेटरों में से एक है, जो अपने खेल के प्रति दृढ़ और समर्पित है। 2018 में लखनऊ में भारत के लिए खेल चुका ये युवा खिलाड़ी जब भी मैदान पर उतरता है तो अपनी शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी से दर्शकों के दिलों पर एक अलग छाप छोड़ता है। विराट कोहली और महेन्द्र सिंह धोनी जैसे नामचीन खिलाड़ियों से प्रेरणा पाकर क्रिकेट के मैदान में उतरा ये युवा खिलाड़ी अपनी अद्भूत बल्लेबाजी तकनीक से अच्छे-अच्छे गेंदबाजों को सकते में डाल चुका है। वहीं गेंदबाजी में भी शानदार प्रदर्शन कर रहा है।
मोक्ष ने 7 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। वह कई उतार-चढ़ावों से गुजरा, लेकिन अपने खेल के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से दृढ़ रहा। 14 वर्षों की इस खेल यात्रा में उनका परिवार और कोच निरंतर साथ देते रहे हैं। एक वक्त पीठ की चोट ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया था, बावजूद इसके उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और उच्च मनोबल से उससे न सिर्फ पार पाई बल्कि अपने खेल में बेहतरीन सुधार किया। बीए द्वितीय वर्ष का छात्र ये युवा खिलाड़ी पूरी ऊर्जा के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिए खेलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है।
मोक्ष के शानदार खेल की बदौलत ही उन्हें 2019-20 के लिए एसएच स्पोर्ट्स से एक प्रायोजन (Contract) मिला। मोक्ष मुरगई दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं, जिन्हें डुसू (दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ) 2020 के खेल अध्यक्ष के रूप में चुना गया और वह अपने कॉलेज की क्रिकेट टीम के कप्तान भी हैं। आइए जानते हैं मोक्ष से उनके खेल जीवन से जुड़े अनुभवों के बारे में।
सवाल : मोक्ष आपने क्रिकेट कब से खेलना शुरू किया?
जवाब : मैंने सात साल की आयु में स्कूल के वक्त क्रिकेट खेलना शुरू किया। इसके बाद स्कूल के साथ-साथ क्रिकेट अकेडमी ज्वाइन की और वहां क्रिकेट के बेसिक्स सीखने के साथ-साथ निरंतर प्रैक्टिस करता रहा। विद्या जैन क्रिकेट अकेडमी और आशीष जैन क्रिकेट अकेडमी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। इसके बाद कॉलेज में भी यही क्रम जारी है। जैसे-जैसे कोच मुझे खेल की बारीकियां सिखाते तो मेरी उत्सुकता और ज्यादा बढ़ जाती। मेरे दिमाग में एक ही बात बैठ गई कि मुझे एक बेहतरीन आॅलराउंडर बनना है।
सवाल : इतने सारे खेलों में से क्रिकेट को ही क्यों चुना?
जवाब : जब मैं 5-6 साल का था तो मैंने महेन्द्र सिंह धोनी को खेलते हुए देखता था तो बहुत रोमांचित हुआ। उनके खेल को देखकर ही मेरे दिमाग में क्रिकेट खेलने का विचार आया।
सवाल : अपने खेल करियर के बारे में कुछ बताएं?
जवाब : मैं अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 नेशनल टीमों के लिए खेल चुका हूँ। 2018 में लखनऊ में एक टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, ये मेरे जीवन का सबसे यादगार पल मानता हूँ। इसके अलावा जोनल स्तर और इंटर-जोनल स्तर पर खेलने के साथ-साथ रेलवे कैंप में भी मेरा चयन हुआ। वहीं हमारी टीम ने स्थानीय और कॉलेज स्तर पर भी अनेक टूर्नामेंट जीते हैं।
सवाल : परिवार में किसका सबसे ज्यादा सहयोग रहा?
जवाब : मेरे पापा बिजनेसमैन हैं। वे मुझे खेल के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं। परिवार के सभी सदस्यों का पूरा साथ रहता है।
सवाल : अब लॉकडाउन में अपने आप को फिट रखने के लिए क्या कर रहे हो?
जवाब : अभी ऊपर छत पर नेट लगाया हुआ है। फिटनेस के लिए शटल रेसिंग सहित एक्सरसाइज और खेल की प्रैक्टिस वहीं पर करता हूँ।
सवाल : इस वक्त किसे दुनिया को सर्वोत्तम बल्लेबाज और सर्वोत्तम गेंदबाज मानते हैं?
जवाब : बल्लेबाजों में इंडियन कैप्टन विराट कोहली और गेंदबाजों में आस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिशेल स्टार्क और भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह।
सवाल : कई बार खिलाड़ी आॅउट आॅफ फार्म होता है तो उसे ऐसी स्थिति से बाहर निकलने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब : आउट आॅफ फार्म होने पर खिलाड़ी को बेसिक्स पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और निरंतर कड़ा अभ्यास करना चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि ऐसी स्थिति खिलाड़ी फ्रस्ट्रेट या टेंशन लेने लगते हैं और अपने खेल में बहुत से बदलाव लाने लग जाते हैं, मेरी नजर में वो ठीक नहीं है। खिलाड़ी को अपना नेचुरल गेम खेलना चाहिए और अपनी तकनीक में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।
सवाल : आपकी हॉबिज क्या-क्या हैं?
जवाब : म्यूजिक सुनना, नेट सर्चिंग और फिटनेस के लिए समय लगाना।
सवाल : अंत में जो बच्चे क्रिकेट खेलना शुरू करना चाहते हैं, उन्हें क्या कहेंगे?
जवाब : बच्चों से यही कहूंगा कि अगर आपने क्रिकेट खेलना चुना है तो अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें और अंत तक उसके ऊपर फोकस रखें। खेल के बीच में कई उतार-चढ़ाव आएंगे, उनसे घबराए बिना आगे बढ़ते रहें। तो एक दिन सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी।
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