सच कहूँ/अश्वनी चावला
चंडीगढ़।
पंजाब सरकार से मोटा वेतन लेने के बावजूद corruption कर करोड़ रुपए की (Punjab Government) जायदाद बनाने वाले अलग-अलग विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की अब खैर नहीं है, क्योंकि पहले की तरह अपने असर रसूख से उनके खिलाफ आई शिकायत पर जांच को कई-कई महीने या फिर साल भर लटकाया नहीं जा सकेगा, बल्कि 3 महीने में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ जांच की इजाजत देनी ही पड़ेगी। ऐसा नहीं करने वाले अलग-अलग विभागों के उच्च अधिकारियों के खिलाफ ही पंजाब विजिलेंस सख्ती करने जा रही है।
इसलिए बकायदा विजिलेंस विभाग द्वारा पंजाब भर के सभी सरकारी (Punjab Government) विभागों के प्रभारियों को पत्र जारी करते हुए आदेश दिए हैं कि किसी भी हालात में उनके विभागीय अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ जांच करने की मांगी गई इजाजत को लटकाया न जाए। इसके साथ ही विजिलेंस विभाग द्वारा अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के साथ ही हाईकोर्ट के उन आदेशों की कॉपी लगाई है, जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में 3 महीने के अंदर-अंदर ही जांच के लिए इजाजत देना जरुरी बताया गया है। जानकारी के अनुसार पंजाब विजीलेंस विभाग के पास पटवारी से लेकर उच्च अधिकारियों व पीसीएस अधिकारी से लेकर आईएएस अधिकारियों की भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें पहुंचती रही हैं।
राजनेता या फिर आमजन के खिलाफ शिकायत अनुसार (Punjab Government) जांच करने के लिए पंजाब विजीलेंस को कोई भी स्वीकृति की जरुरत नहीं है लेकिन पंजाब सरकार के बड़े पदों से लेकर छोटे पदों पर काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अगर भ्रष्टाचार को लेकर कोई शिकायत पहुंचती है तो पंजाब विजीलेंस को भ्रष्टाचार की रोकथाम एक्ट 1988 के तहत उस कर्मचारी के संबंधित विभागीय प्रमुख से जांच करने की स्वीकृति लेना जरुरी है। इस तरह के मामले में पंजाब विजीलेंस द्वारा भ्रष्टाचारी अधिकारी के खिलाफ जांच करने की स्वीकृति लेने के लिए पत्र तो भेजा जाता है लेकिन संबंधित विभाग द्वारा कई-कई महीने तक कई बार साल तक इस संबंधी स्वीकृति ही नहीं दी जाती है, जिस कारण विजीलेंस के पास पहुंची शिकायत अनुसार कार्रवाई ही नहीं होती है।
पंजाब विजिलेंस के अधीन सचिव ने पत्र किए जारी (Punjab Government)
इस मामले में पंजाब विजीलेंस के अधीन सचिव द्वारा सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों को देखते हुए भ्रष्टाचार मामले में जांच की स्वीकृति 3 महीने में ही दी जाए व इससे लटकाया न जाए। इस तरह के मामले में कानूनी सलाह लेते हुए सिर्फ 1 महीने का विस्तार लिया जा सकता है लेकिन 4 महीने से ज्यादा स्वीकृति को रोका नहीं जा सकता है। पंजाब विजीलेंस के इस पत्र के जारी होने के बाद अब उन अधिकारियों की खैर नहीं, जो अपने असर रसूख के साथ उच्च अधिकारियों से जांच की स्वीकृति ही नहीं लेने देते थे।
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