देश में कोविड-19 (Coronavirus) महामारी का कहर पहले से थमा है। कभी रोजाना एक लाख तक मरीज आ रहे थे जो अब घटकर 10-12 हजार तक सीमित रह गए। यह भी अच्छी बात है कि देश में दो वैक्सीन तैयार होने के बाद टीकाकरण शुरू हो चुका है, इसके बावजूद सावधान रहना होगा। महाराष्टÑ में कोरोना दोबारा पैर पसारने लगा है, जहां एक दिन में तीन हजार मरीज आए। मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने फिर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं। महाराष्ट्र के अमरावती में हर शनिवार रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन रहेगा। अकोला में भी हर रविवार को लॉकडाउन रहेगा। वहीं, यवतमाल में भी पाबंदियों में बढ़ोतरी की गई है। यहां सभी स्कूल-कॉलेज 28 फरवरी तक बंद रखने का फैसला किया गया है। रेस्टोरेंट, फंक्शन हॉल में 50% लोग ही आ सकेंगे। किसी भी जगह पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध रहेगा।
दरअसल हमें इंग्लैंड और न्यूजीलैंड से भी सबक लेने की आवश्यकता है जहां वायरस के नए स्ट्रेन के कारण लॉकडाउन लगा है। भले ही भारत में वायरस (Coronavirus) के नए रूप के कोई गंभीर संकेत नहीं सामने आए लेकिन लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। वैक्सीन शुरू होने का तात्पर्य यह नहीं कि बीमारी पर मुकम्मल नियंत्रण पा लिया गया है। एक अरब 30 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में अभी 100 लोगों के पीछे एक को भी टीका नहीं लगा, लेकिन भारतीय अपनी मानसिकता के मुताबिक लापरवाही बरतने लगे हैं। गांवों में तो सावधानी केवल नाम की ही रह गई है। गांवों में ढूंढने पर भी मास्क नहीं मिलता। बड़े शहरों में मास्क तो नजर आ जाता है लेकिन आपसी दूरी के नियम को तोड़ते हुए बाजारों में भारी भीड़ देखी जा सकती है। सैनेटाईजर का प्रयोग भी कोई-कोई ही करता है। माना कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पाबंदियों को हटाना आवश्यक है लेकिन सावधानी को जीवन शैली का अंग तो बनाया जा सकता है जो मुफ्त की तरह है।
स्कूलों को छूट दी गई है लेकिन कहीं-कहीं अभी भी स्कूलों में यह बीमारी फैली हुई है। स्कूल सावधानी से चलाए जा सकते हैं, लेकिन जो सावधानी रखेगा तो संक्रमण से इन्कार नहीं किया जा सकता। कम-से-कम सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग बेहद जरूरी है। एक-दूसरे को हाथ जोड़कर सम्मान दिया जाने लगा था, लेकिन लोग अब फिर हाथ मिलाने लगे हैं। कम-से-कम जब तक बीमारी नहीं जाती तब तक हाथ मिलाने की आदत से बचना चाहिए। हमें यह तो याद रखना ही चाहिए कि फिलहाल सरकार ने कोरोना के मुकम्मल खात्मे का ऐलान नहीं किया। सावधानी बरतने में शान समझनी चाहिए और इसी में बचाव है इसमें ही खुद, परिवार व देश की भलाई है। एक-एक व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखेगा फिर पूरा देश स्वस्थ रह सकेगा।
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