कोरोना फेफड़े में श्वसन प्रणाली पर असर डालता है
नई दिल्ली (एजेंसी)। इंटरनेशनल सोसाइटी आॅफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) फेफड़ों को ही बल्कि किडनी को भी संक्रमित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना विषाणु से संक्रमित लोगों की जांच में करीब 25 से 50 फीसदी ऐसे मामले सामने आए हैं , जिनमें पीड़ितों की किडनी में भी इसका असर देखने को मिला। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित के मूत्र में प्रोटीन और रक्त का अधिक मात्रा में रिसाव होता है, जिसके कारण एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) की स्थिति सामने आती है। जांच के दौरान करीब 15 प्रतिशत कोरोना संक्रमितों में ये लक्षण पाये गये।
पांच से दस प्रतिशत मामलों में एकेआई पाया गया
उन्होंने कहा कि सार्स और मार्स की पूर्व की रिपोर्टों के मुताबिक पांच से दस प्रतिशत मामलों में एकेआई पाया गया , लेकिन ऐसे मामलों में मृत्यु दर 60 से 90 प्रतिशत रहा। परमार ने बताया कि कोरोना संक्रमितों की प्रारंभिक रिपोर्टों में तीन से नौ प्रतिशत लोगों में एकेआई कम रही जबकि बाद की रिपोर्टों में किडनी की असामान्यताओं के बढ़ते दर का संकेत मिला। कोरोना पीड़ित 59 मरीजों के उपचार के दौरान दो तिहाई लोगों के मूत्र में प्रोटीन का काफी रिसाव होना पाया गया।
विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि कंटीन्यूज रिनाल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआरटी) जैसी डायलिसिस तकनीक कोविड-19 और सेप्सिस सिंड्रोम के मरीजों के उपचार में प्रभावी हो सकती है, भले ही उनके गुर्दे की कार्यप्रणाली कैसी भी हो। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मौजूदा परिदृश्य और इसके संक्रमण से किडनी पर असर को देखते हुए ऐसे बाह्य थेरेपी के जरिए गंभीर रूप से बीमार लोगों के उपचार में सहायता मिल सकती है।
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