कोरोना संक्रमितों का प्लाज्मा पद्धति से होगा इलाज
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प्रदेश में आईसीएमआर की मंजूरी मिलने के बाद शुरू हो इलाज
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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक ट्वीट कर दिये संकेत
सच कहूँ/अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। हरियाणा कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए जल्द ही अपने सभी मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा पद्धति की शुरूआत करेगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक ट्वीट में कहा, आईसीएमआर से स्वीकृति मिलने के बाद हरियाणा कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए अपने सभी मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा पद्धति की शुरूआत करेगा। हरियाणा में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 14 हजार हो गई है और 223 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों में से लगभग 10 हजार मामले महामारी से सर्वाधिक प्रभावित गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत से आए हैं। हरियाणा में फिलहाल 4,782 लोगों का इलाज चल रहा है और नौ हजार से अधिक लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
प्लाज्मा थैरेपी के आ रहे अच्छे परिणाम
बता दें कि हाल ही मेंं पीजीआईएमएस रोहतक में प्लाज्मा तकनीक से ठीक हुआ एक कोरोना संक्रमित गत शनिवार अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचा, डॉक्टरों ने युवक की प्रशंसा भी। इससे पहले दूसरे राज्यों में भी प्लाज्मा थैरेपी के अच्छे परिणाम आए है, इस पद्धति से कम गंभीर मरीज जल्द ठीक हो रहे हैं। डॉक्टरों ने कोविड-19 की चपेट में आए मरीजों से आग्रह किया है कि वो भी सामने आकर प्लाज्मा डोनेट करें ताकि ओर मरीजों का इलाज हो सके। गौरतलब है कि प्लाज्मा थैरेपी के कोरोना वायरस मामले में अच्छे परिणाम आए है जिसके बाद इस पद्धति से मरीज जल्दी ठीक हो रहे है।
कोरोना संक्रमित ठीक होकर डोनेट कर सकते हैं अपना प्लाज्मा
रोहतक में नोडल आफिसर डॉक्टर धू्रव चौधरी का मानना है कि कोविड-19 के कम गंभीर मरीज ठीक होने के बाद अपना प्लाज्मा दान दे सकते हैं, ताकि दूसरे कोरोना पेशेंट जो ज्यादा गंभीर नहीं हुए है यानी जिनमें शुरूआती लक्षण है वो ठीक होकर अपने घर जा सके। उन्होंने कहा एनसीआर में कोरोना केस ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं इसलिए ये थेरेपी काम कर रही है।
क्या है प्लाज्मा पद्धति
इस तकनीक का पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 में फैले स्पेनिश फ्लू के समय इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद लगातार संक्रमित बीमारियों को दूर करने में प्लाज्मा तकनीक का उपयोग किया जाता रहा है। इस तकनीक में जो व्यक्ति कोरोना वायरस को मात देने में कामयाब हो जाता है। उस व्यक्ति के रक्त को संक्रमित व्यक्ति में डालकर उसे ठीक किया जाता है। इस थेरेपी से 3 से 7 दिन में मरीज ठीक हो जाता है।
कैसे काम करती है प्लाज्मा पद्धति
जब कोई व्यक्ति इस वायरस को हराने में कामयाब हो जाता है या वह कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो जाता है तो वह एंटीबाडीज बन जाता है और उसकी इम्यूनिटी अल्प और दीर्घ समय के लिए मजबूत हो जाती है। इससे इम्युनिटी सेल्स से प्रोटीन उत्सर्जित होता है, जो प्लाज्मा में पाए जाते हैं, जो आवश्यक होने पर रक्त को थक्का बनाने में मदद करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी (जिसे एंटीबाडी थेरेपी भी कहते हैं) से एक साथ कई मरीजों का इलाज किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस पद्धति से उन लोगों का तत्काल इलाज किया जाएगा, जिन्हें सबसे अधिक खतरा है।
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