मेडिकल के क्षेत्र में भारत एक और कीर्तिमान स्थापित करने के करीब पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावा किया है कि अगले कुछ सप्ताह में देश में कोरोना का टीका आ जाएगा। उनके अनुसार वैज्ञानिक सफलता के बेहद करीब पहुंच गए हैं व मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण की मुहिम शुरू की जाएगी। आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस (एम्स) के डॉयरेक्टर ने भी यही जानकारी दी है। अभी तक विश्व में केवल ब्रिटेन ही ऐसा देश है, जिसने मंजूरी के बाद टीकाकरण शुरू किया है। ब्रिटेन की वैक्सीन 90 प्रतिशत असरदार बताई जा रही है। इधर भारत की इस सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं व अन्य लाखों वालंटियरों को जाता है, जिन्होंने महामारी के दौर में देश व इंसानियत की सेवा करने का जज्बा दिखाया।
टीके के अविष्कार में शामिल होना, एक बड़ी सेवा है। हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल विज पहले ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने टीके के तीसरे दौर के परीक्षण के लिए खुद टीका लगवाया है। इसी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने भी वैक्सीन आने पर पंजाब में पहला टीका खुद लगवाने का ऐलान किया है। दरअसल लाखों वालंटियरों की सेवा भावना व सद्भावना को सलाम है, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर टीके को इजाद करने में अहम भूमिका निभाई। यह भी अच्छी बात है कि सरकार ने सबसे पहले कोरोना काल में ड्यूटी दे रहे स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंट लाइन वर्करों, बुजुर्गों व गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को टीका लगाने का निर्णय लिया है, जो वैज्ञानिक नजरिए से अहम है। हमारे देश की जनसंख्या विश्व में दूसरे नंबर पर है।
ऐसी परिस्थिति में सभी नागरिकों को टीका लगाने की बजाए आवश्यता अनुसार ही लगाया जाना उचित होगा। यूं भी मृत्यु दर के मामले में भारत की स्थिति अमेरिका जैसे देशों से कहीं ज्यादा बेहतर रही है। देखादेखी की बजाए कोई भी फैसला अपने देश की मौजूदा स्थिति के आधार पर ही लिया जाना चाहिए। राजनीतिक दलों को इस मामले में किसी भी प्रकार की स्वार्थपूर्ण ब्यानबाजी करने से बचना करना चाहिए। कम से कम यह बात तो संतोषजनक है कि भारत ने विकसित देशों के बराबर समय में ही टीका बनाने में सफलता प्राप्त की है। 19वीं सदी के मध्य में फैली स्पेनिश फ्लू की महामारी का टीका 20 वर्ष बाद बनाया जा सका, जो अब 12-14 महीनों बाद मिल रहा है। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टीके की पहुंच गरीबों व जरूरतमंदों तक भी हो, हालांकि सरकार ने टीके की कीमत तय नहीं की है फिर भी सरकार को यह बात अपने कार्यक्रम में शामिल करनी चाहिए।
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