दिल्ली की आम आदमी पार्टी और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिजनों को पेंशन और अन्य मदद देने की घोषणा की है, जो उचित भी है लेकिन इससे भी आवश्यक है कि केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर कोरोना पीड़ितों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाएं, जो मरीज बीमारी के शुरूआती लक्षणों के बाद घर में ही उपचार शुरू करवा रहे हैं। ऐसे मरीज भारी आर्थिक बोझ से तो बच जाते हैं लेकिन जो मरीज अस्पताल में आॅक्सीजन या वेंटीलेंटर पर पहुंच जाते हैं उन पर आर्थिक मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। गरीब तो क्या मध्यम वर्ग भी इतने भारी खर्च को वहन नहीं कर सकता। केंद्र सरकार ने देश भर में आयुष्मान योजना लागू की है, जिसके अंतर्गत 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख के मेडिकल बीमा की सुविधा दी गई है जहां तक महामारी का संबंध है केंद्र सरकार को प्रत्येक कोरोना मरीजों का उपचार नि:शुल्क करना चाहिए क्योंकि महामारी किसी एक व्यक्ति या शहर की समस्या नहीं यह पूरे देश की समस्या है।
यदि उपचार नि:शुल्क होगा तब लोग टेस्ट करवाएंगे, फिर वे अस्पतालों में भर्ती होने से संकोच नहीं करेंगे। मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा और गरीब वर्ग अस्पताल के खर्चों को झेलने में समर्थ नहीं। विशेष तौर पर निजी अस्पतालों में तो भर्ती होने के एक-दो दिन में ही लाखों रुपये खर्च बन जाता है। कुछ निजी अस्पताल मरीजों को जमकर लूट रहे हैं, ऐसी खबरें रोजाना सुनने को मिल रही हैं। यदि उपचार नि:शुल्क हो तब विवाद भी खत्म होंगे और मरीज बेझिझक होकर उपचार करवाएंगे। साथ ही वैक्सीन भी नि:शुल्क होनी चाहिए। प्राईवेट अस्पतालों को दी जाने वाली वैक्सीन का खर्च केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर उठाना चाहिए। देश एक है, सभी नागरिक भी एक ही देश के हैं। इस मामले में नागरिकों को केवल राज्य सरकारों पर नहीं छोड़ना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीनेशन निशुल्क होनी चाहिए ताकि कोरोना के खिलाफ ये लड़ाई राष्ट्रीय भावना से लड़ी जा सके।
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