नई दिल्ली। कोरोना सर्वाधिक दंश बुजुर्गों ने झेला। ये दावा किया है एक रिपोर्ट में। जिसके मुताबिक कोविड-19 के कारण लगभग 20.8 प्रतिशत वृद्धों ने अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों को खोया है। उनमें से ज्यादातर मानते हैं कि यदि बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा मजबूत होता तो उनके अपनों की जान बच सकती थी। देशभर में 3,526 बुजुर्गों पर सर्वेक्षण के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई थी।
3,526 लोगों पर किया सर्वेक्षण
‘हेल्पएज इंडिया’ ने छह शहरों के सर्वेक्षण ‘‘द साइलेंट टारमेंटर : कोविड-19 एंड द एल्डरली’’ के नतीजों को जारी किया। दरअसल मुंबई दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता में 3,526 लोगों पर सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में शामिल 20.8% लोगों ने या तो अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को कोविड संक्रमण के चलते खो दिया। जब इन लोगों से पूछा गया कि मरने वालों को बचाने के लिए और क्या किया जा सकता था, 50.8% ने बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को, 44.4 फीसद ने टीकों की उपलब्धता और 38.7 फीसद ने समय पर दवाएं और टीके की उपलब्धता के बारे में कहा।
लगभग 42.1 फीसद लोगों को कोरोना से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की सबसे अधिक चिंता थी। 34.2 फीसद लोग अकेलापन होने से चिंतित थे। एक और बड़ी चिंता इन बुजुर्गों की दूसरों पर बढ़ती वित्तीय निर्भरता थी। सर्वेक्षण में शामिल 41.1% लोग अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर थे।
आय को बेहद किया प्रभावित
अध्ययन में सामने आया कि 52.2 फीसद बुजुर्गों ने कहा कि कोविड ने बुजुर्गों की आय को बेहद प्रभावित किया। नौकरी छूटना (34.9%) और परिवार के सदस्यों के वेतन में कटौती (30.2%) इसके मुख्य कारण हैं।
वृद्धों के लिए महामारी के दौरान अपना स्वास्थ्य ठीक रखना मुश्किल हो गया। इनमें से 52.4% जोड़ों के दर्द से पीड़ित थे जबकि 44.9% को चलने में परेशानी थी, 24.4% की आँखों में दिक्कत थी और 13.8% की यादाश्त कमजोर थी या कॉन्संट्रेशन की कमी से जूझ रहे थे।
अध्ययन में ये भी पता चला कि 58.2% वृद्धों को पता था कि एक टीका विकसित किया गया है जबकि 41.8% इससे पूरी तरह अनभिज्ञ थे। जागरूक लोगों में से 78.7% वृद्धों ने महसूस किया कि टीकाकरण वास्तव में महत्वपूर्ण था। इसमें पता चला कि 66.6% को कोविड के टीके की कम से कम एक खुराक मिली थी।
लगभग 43.1% वृद्धों ने कहा कि समाज में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। 15.6% ने कहा कि वे दुर्व्यवहार के शिकार हुए। 62.1% ने महसूस किया कि कोरोना के दौरान, दुर्व्यवहार का खतरा बढ़ गया है। इस दौरान एक चिंताजनक पहले ये भी देखने को मिला कि दुर्व्यवहार करने वाले बेटे (43.8%) और पुत्रवधू (27.8%) थी, जबकि 14.2% ने कहा कि उनकी बेटियों ने उनसे दुर्व्यवहार किया।
मिशन हेड-एजकेयर, हेल्पएज इंडिया के डॉ. इम्तियाज अहमद ने बताया कि हमें कोरोना की दूसरी लहर में बुजुर्गों से दुर्व्यवहार, मारपीट और विवादों से जुड़ी हमारी एल्डर हेल्पलाइन पर 1,000 से ज्यादा काल आर्इं, जो पहली लहर के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा है।
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