इस वक्त पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। और ऐसे समय में आपसी सहयोग बढ़ाने और संकट में फंसी दुनिया को नेतृत्व देने के बजाय, दुनिया के दो शक्तिशाली देश, अमेरिका और चीन आपसी संघर्ष में उलझे हुए हैं। दोनों देशों के बीच कड़वाहट इस कदर बढ़ गई है कि ये द्विपक्षीय संबंधों को पटरी से भी उतार सकती है। जैसे कि किसी मामूली बात पर लोगों के बीच गोलियां चलने लगती हैं। उसी तरह, अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष का मौजूदा दौर भी मामूली विवादों से शुरू हुआ है, पत्रकारों का निष्कासन और कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराना।18 मार्च को चीन ने अपने यहां काम कर रहे एक दर्जन से अधिक अमेरिकी पत्रकारों को निष्कासित कर दिया।
अमेरिका और चीन के बीच विवाद का मुख्य कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन है। अमेरिका कोविड-19 वायरस को फैलाने के लिए चीन को दोषी बता रहा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन का सहयोगी करार दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जहां चीन के खिलाफ खुलकर तल्ख बयानबाजी कर रहे हैं वहीं भारत के साथ नजदीकी बढ़ाने की भी घोषणा कर रहे हैं। ट्रम्प ने भारत को वेंटीलेटर मुहैया करवाने की घोषणा की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती का संदेश अवश्य जाएगा, लेकिन यहां हमें पड़ोसी देश चीन से भी सावधान रहना होगा। चीन विश्व में मेडिकल साजो-सामान का बड़ा केंद्र होने के कारण भारत में पीपीटी टेस्टिंग किटें भी सप्लाई कर रहा है। लेकिन अमेरिका और चीन के साथ एक साथ संबंध कायम रख पाना भारत के लिए थोड़ा मुश्किल होगा जबकि भारत के लिए चीन को अपने दोस्ताना दायरे में रखना वक्त की बड़ी आवश्यकता भी है।
पहले ही भारत और चीन में सीमा विवाद चल रहा है। फिर भारत के पुराने सहयोगी नेपाल भी चीन की तरफ झुकाव बढ़ा रहा है। श्रीलंका में भी चीन तेजी से अपने पैर पसार रहा है। पाकिस्तान को चीन अपना सबसे निकट मित्र बता रहा है, इन परिस्थितियों में चीन के साथ अपने संबंध सुदृढ़ रखना भारत के लिए आवश्यक है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोरोना के कहर में अंतरराष्ट्रीय माहौल भी बदल रहा है जिससे न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक मामलों पर भी नए तरीके से रणनीति बनाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। अब भारत को जहां अर्थव्यवस्था को ठीक करना व बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटना होगा, वहीं देश में सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति को बहाल करने के साथ-साथ विदेश नीति को भी धार देने की आवश्यकता है। कोरोना पूरी दुनिया को बदल चुका है, यह एक ऐतिहासिक विभाजन रेखा बन चुका है। भारत को भी इस ऐतिहासिक रेखा का महत्व सदैव याद रखना होगा।
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