कोरोना को लेकर केंद्र व राज्यों में तालमेल जरूरी

Coronavirus

अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस सहित 54 देशों में कोरोना(Coronavirus) की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। सबसे ज्यादा असर उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में दिख रहा है। भारत में भी दूसरी लहर की आहट दिखने लगी है। पिछले हफ्ते तीन दिन ऐसे थे, जब भारत में ठीक होने वालों से ज्यादा नए मरीज आए। मतलब इन तीन दिनों में एक्टिव केस की संख्या में इजाफा हुआ है। सितंबर तक दुनियाभर में रोजाना औसतन 3 लाख मरीज बढ़ रहे थे। अब रोज 6 लाख से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। केंद्र सरकार को कोविड -19 की नई गाइडलाइन जारी की हैं, जो एक दिसंबर से लागू होंगी। सबसे अच्छी बात यह है कि केंद्र ने राज्यों को पाबंदियां अपने स्तर पर लगाने की छूट दी है। केवल लॉकडाउन के लिए ही केंद्र सरकार से मंजूरी का प्रावधान रखा गया है। यह नीति केन्द्र व राज्यों में टकराव की संभावना को समाप्त करेगी।

अक्सर यह होता है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लेकर विरोधी पार्टियों की सरकार वाले राज्यों में विवाद होता रहा है, जो कोरोना के साथ जंग में बाधक बनता है। यह भी देखने में आया है कि केन्द्र सरकार के फैसलों को राज्य अपने स्तर पर बदलाव कर लागू कर देते है। इस स्थिति में केंद्र सरकार ने भी यह समझ लिया है कि उनका मुख्य उद्देश्य कोरोना को नियंत्रित करना ही है, इसीलिए राज्यों पर किसी प्रकार की सख्ती से परहेज किया है। जनहित में ऐसा तालमेल सकारात्मक संकेत देता है। अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले भारत ने कोविड-19 को हराने के लिए अच्छी लड़ाई लड़ी है लेकिन जिस प्रकार विश्व में फिर कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं केंद्र व राज्यों को सावधान व एकजुट होकर चलने की आवश्यकता है।

केंद्र सरकार के फैसले से यह स्पष्ट है कि लॉकडाउन लगाना केंद्र की मंशा नहीं है इसीलिए राज्यों को लॉकडाउन के लिए केंद्र की अनुमति अनिवार्य है। पहले ही लॉकडाउन लगने से देश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी, इसीलिए अब केंद्र व राज्य सावधानी को ही प्राथमिकता दें, लेकिन दोनों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए। व्यापार, उद्योगों और रोजगार के लिए कोरोना नियमों का पालन ही सबसे बड़ा हथियार है। बिना लॉकडाउन के कोरोना से लड़ाई में आम जनता की जिम्मेवारी भी महत्वपूर्ण है इसीलिए यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि नियमों की पालना करने में ही सबकी भलाई है।

 

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