विवादों में घिरा खेल ढांचा

Olympic Qualifier in Haryana

ओलंपिक के क्षेत्र में देश पहले ही पस्त हालत में है, जिसे सुधारने के लिए भारत के खेल संघों का सुधार किया जाना आवश्यक है। लेकिन खेल संघों में अभी भी व्यवस्था भ्रष्टाचार की चक्की में पिस रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अभी विवाद थमा नहीं है कि भारतीय ओलंपिक संघ में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सुरेश कलमाड़ी व अभय चौटाला को आजीवन अध्यक्ष के पद दे दिए गए। हालांकि कलमाड़ी ने यह पद स्वीकार करने से इन्कार कर दिया, लेकिन अभय चौटाला अभी भी पद रखने के लिए कायम हैं। यहां यह प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है कि भारतीय ओलंपिक संघ के निर्वाचन मंडल के पास क्या कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था कि उन्हें आजीवन अध्यक्ष पद के लिए सुरेश कलमाड़ी व अभय चौटाला को चुनना पड़ा? क्या अभय चौटाला की नियुक्ति इसलिए की गई कि उनके पहले के कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्टÑीय ओलंपिक संघ ने भारतीय ओलंपिक संघ को प्रतिबंधित कर दिया था। हाल ही में आए एक आमजन सर्वे में पाया गया है कि 92 फीसदी लोग नहीं चाहते कि खेल संघों की कमान राजनेताओं के हाथ में रहे। इससे भी बढ़कर 86 फीसदी लोगों ने तो मांग की है कि इन खेल संघों का संचालन देश के नामचीन पूर्व खिलाड़ी ही करें। भारतीय खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ को नोटिस जारी कर जानना चाहा है कि भ्रष्टता के आरोपों का सामना कर रहे कलमाड़ी व चौटाला की नियुक्ति किस बिनाह पर की गई है? हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ एक स्वायत संस्था है। उसमें सरकार का दखल बेहद नपा-तुला हो सकता है, लेकिन सरकार के नोटिस से यह अवश्य समझा जाना चाहिए कि देश में खेलों की एक सर्वोच्चय संस्था में मनमानियां उसे सरकार से ऊपर नहीं बना सकतीं। इससे पहले कि भारतीय ओलंपिक संघ की मनमानियों पर उच्चतम न्यायालय कोई आदेश करे, ओलंपिक संघ को चाहिए कि वह अपनी रीति-नीति में स्वयं शुचिता लाए। खेल संघ खेलों व खिलाड़ियों के विकास के लिए गठित किए गए हैं, अत: इनमें राजनीति व नाहक मान-सम्मान की गैर क्रीड़ात्मक गतिविधियां न ही हों। खेल मंत्रालय को चाहिए कि वह केबीनेट से या संसद से खेल संघों पर एक निगरानी तंत्र या नियामक की नियुक्ति करवाए, ताकि खेल प्रेमियों को अपने हितों की रक्षा के लिए बार -बार न्यायालय की शरण में न जाना पड़े। ऐसे नियामक से जहां खेल संघों से भ्रष्टाचार का सफाया होगा, वहीं सरकार का इन पर नियंत्रण भी होगा।