- पुलिस ने कर्मचारियों को ब्रह्म महेन्द्रा की कोठी की तरफ बढ़ने से रोका
पटियाला(खुशवीर सिंह तूर)। कांग्रेस द्वारा चुनावों से पहले व सरकार बनने के बाद किए वायदे बहानों में बदलते देख कर्मचारियों द्वारा सरकार को वायदे याद करवाने के लिए मंत्रियों के घर की ओर मशाल मार्च की शुरूआत कर दी है। आज ठेका कर्मचारियों ने पटियाला नेहरू पार्क में एकत्रित होकर स्वाास्थ्य मंत्री ब्रह्म महेन्द्रा की कोठी की और मशालें जलाकर मार्च किया जाना था, परंतु पुलिस की तरफ से उनको आगे न बढ़ने दिया गया।
इसके बाद कर्मचारियों ने वहीं सरकार के खिलाफ मिशालें जलाकर अपना विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके ठेका कर्मचारी एक्शन समिति के नेता सज्जण सिंह, अशीष जुलाहा, दर्शन सिंह लुबाना, अमृंतपाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस द्वारा चुनावों से पहले व सरकार बनने उपरांत कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, सुविधा कर्मचारियों को बहाल करने व कई ओर कर्मचारी मांगों का हल करने के वायदे किए थे परंतु अब सरकार ने एक साल से पर का समय बीत जाने पर मुख्य मंत्री द्वारा कर्मचारियों के साथ एक बार भी बैेठक नहीं की।
नेताओं ने कहा कि 22 मई को कैबिनेट सब समिति द्वारा कर्मचारियों के साथ पंजाब भवन चंडीगढ़ में बैठक दौरान किए वायदे भी वफा नहीं हुए हैं। शाहकोट चुनावों दौरान सरकार द्वारा कर्मचारी मांगों पर बातचीत करने के लिए कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महेन्द्रा की अध्यक्षता में तीन मंत्रियों की कैबिनेट सब समिति का गठन किया गया था जिसकी तरफ से 22 मई को पंजाब भवन में कर्मचारी मांगों पर बातचीत की थी
कर्मचारियों की मांगों पर विचार करके चुनावों के तुरंत बाद मुख्य मंत्री के साथ पैनल बैठ िकरवाने का भरोसा दिया था परन्तु आज तक बैठक का कोई न्योता नहीं दिया गया व सुविधा कर्मचारियों को बहाल करने की बात कही थी, जिसपर समिति द्वारा कहा गया था कि इस मामले पर हमदर्दी से विचार किया जा रहा और जल्द ही फैसला लिया जाएगा परन्तु अब तक सरकार ने कर्मचारी मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया। इस लिए आज यह मशाल मार्च किया गया है।
28 को कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के घर किया जाएगा दूसरा मशाल मार्च
नेताओं ने ऐलान किया कि यदि सरकार ने अब भी कर्मचारियों की बातचीत न सुनी तो 28 जून को कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के घर की ओर दूसरा मशाल मार्च किया जाएगा। वैसे इस से पहला पुलिस आधिकारियों की तरफ से सेहत मंत्री के साथ नेताओं की बात करवा दी गई, जिसके बाद मशाल मार्च आगे न बढ़ा।
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