आम:- आम को फलों का राजा भी कहते हैं। इसका फल गोल और लंबा होता है। कुछ आम रसीले तथा कुछ रेशे वाले होते हैं। आमों की कई प्रमुख जातियां प्रचलित हैं जैसे-नीलम, दशहरी, लंगड़ा, सफेदा, मालदा, पायरी इत्यादि।
खाने में यह कच्चा अथवा पक्का दोनों ही तरह इस्तेमाल किया जाता है। आम अनेक दृष्टियों से लाभप्रद होते हुए भी इसमें कुछ हानियां हैं जैसे-खट्टे आम के सेवन से मंदाग्नि, विषम ज्वर, रक्तविकार, कब्ज तथा नेत्र संबंधी अनेक रोग हो जाते हैं। कच्चे आम को दूध के साथ सेवन करने से भी यह नुकसान करता है।
खरबूजा:- यह भी ग्रीष्म ऋतु का फल है। यह आकार में गोल तथा बलवर्धक, भारी, स्निग्ध व शीतल होता है। तरावट लाने के लिए विशेष रूप से इसे प्रयोग किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी हानि यह है कि यह शरीर में तीनों दोष (वात, पित्त, कफ) उत्पन्न करता है।इसके कच्चे फल भी वायु तथा कफ में वृद्धि करते हैं। इसके अति सेवन से खांसी-जुकाम होता है। इसी भांति सूजन, आमवात और जलोदर के रोगियों के लिए भी यह हानिकारक है। खरबूजा पचने में भारी होता है। अत: मंद जठराग्नि वाले व्यक्तियों को भी इसके उपयोग से बचना चाहिए।
तरबूज:- कच्चा तरबूज पित्त को बढ़ाता है तथा आंखों के अनेक विकार उत्पन्न करता है। जलोदर रोग में इसका प्रयोग वर्जित है।
कटहल:- गुल्म के रोगियों तथा मंदाग्नि के रोगियों को कटहल के अति सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह देर से हजम होता है। कटहल का अधिक मात्र में सेवन करने से अजीर्ण नामक रोग हो जाता है।
केला:- केला भारी, स्निग्ध तथा वातज होता है। इसके अति सेवन से उदर संबंधी उनके रोग हो जाते हैं तथा कब्जियत भी उत्पन्न हो जाती है। अत: फलों की हानियों को ध्यान में रखते हुए इसके अति सेवन से बचना चाहिए।
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