विपक्ष की एकजुटता

Consolidation, Opposition

कर्नाटक में कुमारास्वामी का मुख्यमंत्री शपथ समारोह भाजपा के खिलाफ विपक्ष पार्टियों को एक मंच दे गया। कांग्रेस सहित इन सभी पार्टियों की एकजुटता ने संदेश दे दिया है कि मिशन 2019 में भाजपा को टक्कर देने के लिए वह एक मंच पर एकत्रित होने के लिए तैयार हैं। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार सहित 6 राज्यों के मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में भारी संख्या बल की ताकत साफ नजर आती है। इन पार्टियों के पास वर्तमान समय में 125 के करीब लोकसभा सीटें हैं, फिर इनमें कितना दम भी है कि ये 11 राज्यों की 349 सीटों पर यह पार्टियां बड़ी चुनौती दे सकती हैं।

पिछले महीनों में विभिन्न राज्यों में हुए लोकसभा उप-चुनावों में भी विपक्षी पार्टियों ने सत्ताधारी भाजपा को मात दी है। खासकर भाजपा उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की लोकसभा सीट गोरखपुर भी नहीं बचा पाई। ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी हुआ है। गुजरात विधान सभा चुनावों में चाहे भाजपा फिर से सरकार बनाने में कामयाब हुई लेकिन पार्टी को सीटें उम्मीद से बहुत कम मिली।

कर्नाटक में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से 20 के करीब रैलियां करने के बावजूद भाजपा बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी। दरअसल कांग्रेस ने गठबंधन की राजनीति को स्वीकार कर लिया है। इस गठबंधन राजनीति के कारण ही यूपीए ने लगातार दो बार केन्द्र में सरकार बनाई है। इस गठबंधन की ताकत को भाजपा ने 2014 में अच्छी तरह समझ लिया था व जबरदस्त बहुमत मिलने के बावजूद सहयोगी पार्टियों को मंत्री-मंडल में जगह दी।

यहां तक कि भाजपा ने सिर्फ दो सीटें जीतने वाली लोजपा से भी एक मंत्री ले लिया। कांग्रेस भी इसी तर्ज पर क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत को सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ प्रयोग करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। हर पार्टी अपने पारम्परिक रूख की बजाए मौके के अनुसार कोई भी फैसला लेकर विपक्ष को मात देने के लिए रणनीति तैयार करती नजर आ रही है।

जिस तरह कांग्रेस ने कर्नाटक में जनता दल को समर्थन देने का फैसला लेकर भाजपा को सत्ता से बाहर रखने में कामयाब हुई वह काफी हैरत भरा है। कांग्रेस की वैचारिक साझीदार राष्टÑीय व क्षेत्रीय पार्टियां भी इस बात को समझ रही हैं कि केन्द्रीय राजनीति में एक पार्टी के प्रभाव का समय नहीं रहा। चुनावों में अभी एक वर्ष का समय शेष रहा है।

अभी तक हालांकि विपक्ष की तरफ से औपचारिक तौर पर गठबंधन की घोषणा नहंी की गई है फिर भी यह बात स्पष्ट है कि मुद्दों पर नीतियों के साथ-साथ विपक्ष की एकजुटता बड़ी चुनौती बन रही है। देखना अब यह है कि भाजपा नोटबंदी, जीएसटी के बाद पैदा हुए हालात, महंगाई, कृषि की दुर्दशा जैसे मुद्दों पर विपक्ष को पछाड़ने के लिए क्या रणनीति तैयार करती है?

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो