चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर लोकसभा में कांग्रेस ने सरकार को घेरा

Congress

 सरकार ने कहा- आज तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा (Congress )

  • कांग्रेस ने हंगामा और बाद में बहिर्गमन किया (Congress )

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। विपक्षी दल कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के (Congress ) दुरुपयोग और सरकारी कंपनियों के विनिवेश के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए गुरुवार को लोकसभा में हंगामा किया और बाद में सदन से बहिर्गमन किया जबकि सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उस पर आज तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है।कांग्रेस के मनीष तिवारी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग के विरोध के बावजूद सरकार ने चुनावी बॉन्ड जारी कर ‘सरकारी भ्रष्टाचार’ को अमली जामा पहनाया

 ‘सरकार के अज्ञात चुनावी बॉन्ड जारी करने से सरकारी भ्रष्टाचार को अमली जामा पहनाया गया

-इसमें न तो चंदा देने वाले का, न चंदे की राशि के स्रोत का और न ही चंदा पाने वाले का पता होता है। पहले सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करने का प्रावधान था, लेकिन कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर…।

कांग्रेस के सदस्य हर दिन कार्यस्थगन प्रस्ताव दे देते हैं: सरकार

  • इसके बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि वे किसी का नाम नहीं ले सकते।
  • तिवारी ने कहा कि उनके पास इसके साक्ष्य के रूप में दस्तावेज हैं
  • जिन्हें वे सदन के पटल पर रख सकते हैं।
  • इस पर बिरला ने कहा कि वह कागजात सदन के पटल पर रख देंजिस पर वह विचार करेंगे।
  • तिवारी की पूरी बात नहीं सुने जाने पर कांग्रेस तथा वामदलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया

इससे पहले प्रश्नकाल शुरू होते ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की जिस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्षी सदस्य जो भी मुद्दा उठाना चाहते हैं अध्यक्ष उन्हें शून्यकाल में उठाने दें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सदस्य हर दिन कार्यस्थगन प्रस्ताव दे देते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार या स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आज तक भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है।

सोनिया, राहुल की जान को खतरा : कांग्रेस

लोकसभा में कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी एवं उनके बेटे तथा पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी को मिली विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की सुरक्षा वापस लिए जाने पर चिंता जाहिर की और जोर देकर कहा कि दोनों की जान को खतरा है। कांग्रेस के सदस्य रवनीत सिंह बिट्टू ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या किए जाने के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए इस बल का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए श्री राजीव गाँधी को यह सुरक्षा मिली थी जिसे उनके प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने वापस ले लिया था।

 

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