पार्टी के खिलाफ बयानबाजी: कांग्रेस ने कहा- सिद्धू पर लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कार्रवाई होगी

Congress said that action will be taken after the results of Lok Sabha elections on Sidhu

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ बयान देने और बेअदबी मामले पर पार्टी को घेरने से राज्य नेतृत्व नाराज

चंडीगढ़। कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बयानों से पंजाब कांग्रेस के ज्यादातर मंत्री, उनके खिलाफ हो गए हैं। पंजाब मामलों की (Congress said that action will be taken after the results of Lok Sabha elections on Sidhu) प्रभारी आशा कुमारी भी सिद्धू से खफा हैं। उन्होंने बताया, “प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से रिपोर्ट मांगी गई है। पार्टी की छवि खराब हुई है। मामला राहुल गांधी के ध्यान में भी है। इस पर कार्रवाई तो होगी, लेकिन फैसला लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद करेंगे।”

पंजाब प्रभारी आशा कुमारी ने रिपोर्ट मांगी, कहा- सिद्धू के बयानों से पार्टी की छवि खराब हुई

सूबे के कई कैबिनेट मंत्रियों ने भी सिद्धू पर कार्रवाई की मांग की है। सोमवार को कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, साधू सिंह धर्मसोत ने भी सिद्धू की बयानबाजी को बेतुकी और गैरवाजिब बताया। इन्होंने कहा कि अगर उन्हें (सिद्धू) कोई नाराजगी है, तो इस बारे में उन्हें कैबिनेट मीटिंग में बात करनी चाहिए ना कि सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करनी चाहिए।

सिद्धू का कहना है कि उन्होंने जो कहा आत्मा से कहा है। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी पंजाब की आत्मा पर चोट है। इससे सारी सिख कौम आहत है। सिद्धू के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का नाम लिए बिना उनकी तरफ इशारा करते हुए कहा- “ठोक दो उन लोगों को, जो लोग मिलीभगत कर कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपते हैं।”

तीन मंत्रियों के निशाने पर सिद्धू

कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, “अब जबकि कैप्टन सरकार बेअदबी मामले में कार्रवाई कर रही है। एसआईटी आरोपी पुलिस अफसरों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन सिद्धू बिना कारण आरोपियों को सजा दिलाने की सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।” रंधावा ने कहा सिद्धू ने 2015 में उस समय इस्तीफा क्यों नहीं दिया, जब गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई थी। तब सिद्धू भाजपा में थे और उनकी पत्नी भी एमएलए थी। सिद्धू ने चुनावों के बीच बयानबाजी की, जो गलत है।

वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा अगर सिद्धू कैप्टन के साथ काम नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा, सिद्धू को दायरे में रहकर बोलना चाहिए। इससे पार्टी का अक्स धुंधला हुआ है। सिद्धू को अपने मतभेदों, नाराजगियोंं को सही समय पर उठाना चाहिए था, न कि चुनाव के बीच में। सरकार में हर मंत्री को अपने विचार-शिकायतें रखने का हक है, लेकिन पार्टी की छवि को ध्यान में रखते हुए मर्यादा और दायरे में रहकर करना चाहिए। उधर, हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने कहा, सिद्धू को उनके ही नेता बाहर का रास्ता दिखाने की वकालत कर रहे हैं। सिद्धू के इमरान से अच्छे संबंध हैं वह पाक जाकर इमरान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ में शामिल हो जाएं।

पत्नी को टिकट नहीं देने से सिद्धू खफा

नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी डॉ नवजोत कौर सिद्धू के लिए चंडीगढ़ से लोकसभा टिकट चाहते थे, लेकिन आखिरी वक्त में कांग्रेस ने वहां से पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को टिकट दे दिया। इसके बाद डॉ. नवजोत ने आरोप लगाया था कि अमरिंदर और आशा कुमारी की वजह से मेरा टिकट काट दिया गया। इस पर सिद्धू ने कहा था कि मेरी पत्नी सच बोलने का दम रखती है और कभी झूठ नहीं बोलती। सिद्धू की नाराजगी की वजह एक और है। उन्हें देशभर में कांग्रेस के प्रचार के लिए मौका दिया गया, लेकिन पंजाब से दूर रहे। हालांकि, पहले खबर आई थी कि उनके गले में खराबी है, लेकिन बाद में साफ हो गया।

इस पर अमरिंदर सिंह ने कहा था- “सिद्धू के साथ कोई जुबानी जंग नहीं है। वे महत्वाकांक्षी हैं, यह ठीक है। लोगों की बहुत सी महत्वाकांक्षाएं होती हैं। मैं सिद्धू को बचपन से जानता हूं। मेरा उनके साथ कोई मतभेद भी नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। मुझे हटाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।”

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