देश में मंगलवार को आए पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से कांग्रेस ने साफ-साफ वापसी कर ली है। अभी की कांग्रेस की जीत भाजपा की विफलताओं की देन है, चूंकि अभी तक कांग्रेस कोई परिवर्तनकारी नीति या वायदों से देश को अवगत नहीं करवा सकी है। फिर भी छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा से छीन लिए हैं वहीं मध्य प्रदेश में भाजपा को कड़ी चुनौती दी है। पूरा देश इन चुनावों को 2019 के लोक सभा चुनाव का सेमीफाईनल मान कर चल रहा है। भाजपा के नेता व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को बहुत ज्यादा नाकाबिल बताया लेकन राहुल गांधी उलटे उभर रहे हैं। 2014 के चुनाव में देश यह मानकर चल रहा था कि नरेन्द्र मोदी के रूप में देश को एक ऐसा नेता मिल गया है जो आने वाले कई सालों तक देश को दिशा देगा।
लेकिन नोटबंदी, जीएसटी, हिन्दु-मुस्लिम मुद्दे, गौरक्षा, भीड़ के हमले, राफेल खरीद घोटाला, न्यायपालिका का मीडिया में आना, आरबीआई से सरकार का झगड़ा, सीबीआई में फैला भ्रष्टाचार विजया माल्या व नीरव मोदी का बैंक के पैसे लेकर भाग जाना, किसानों की आत्महत्याएं ये सभी मामले इतने अधिक बढ़ गए कि नरेन्द्र मोदी से देश अब छुटकारा पाने के रास्ते ढूंढ रहा है। हालांकि कांग्रेस के पास भी देने को बहुत कुछ नहीं, देश कांग्रेस को चुनने की सोच रहा है परंतु राहुल गांधी को लेकर अभी भी देश ऊहापोह में है। क्योंकि आए दिन राहुल गांधी की ऐसी वीडियोज का संसद में उनकी कार्यशैली सामने आती है जो उन्हें एक परिपक्व नेता प्रदर्शित नहीं करती, विकल्प कोई है नहीं सो देशवासी शायद यही सोच रहे हैं कि कांग्रेस की नीतियां व टीम अच्छी है।
चूंकि कांग्रेस की पूर्व मनमोहन सिंह सरकार जो दस वर्ष तक रही उससे देश का किसान-मजदूर, मध्यवर्ग, व्यापारी सभी संतुष्ट थे। अगर आखिर के सालों में घोटालों का दौर नहीं चलता तो शायद बीजेपी आज भी केन्द्र में सत्ता में नहीं होती। अभी के राज्यों के चुनावों से एकदम से यह मानना भी जल्द बाजी होगी कि कांग्रेस सरकार बनाएगी क्योंकि बीजेपी का प्रदर्शन भी बहुत अधिक बुरा नहीं है। नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं हैं, इसलिए वह एनडीए के घटकों, अपनी नीतियों, वायदों की सिरे से छानबीन करेंगे।
कांग्रेस क्यों राज्यों में वापिसी कर रही है उसका भी ये दोनों नेता देखेंगे। तब हो सकता है 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ज्यादा जोरदार तरीके से चुनाव में उतरे परंतु अभी शेष बचे महीनों में भाजपा को अल्पसंख्यकों, खासकर किसानों के लिए कुछ न कुछ करना होगा क्योंकि भाजपा का अभी जो खेल बिगड़ा है वह अल्पसंख्यकों एवं ग्रामीण मतदाताओं के कारण ही बिगड़ा है। जहां तक सवाल कांग्रेस का है तब उसे भी अभी देखना है कि भले ही उसकी स्थिति सुधरी है परंतु निर्दलयों एवं बसपा का उभार लोकसभा चुनाव की दिशा तय करने में इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अत: यह उभार जितना कम होगा कांगे्रेस का वोट बढ़ेगा। अत: कांग्रेस के भावी टिकट वितरण में कांग्र्रेस के बाहर के लोगों को भी पाले में लेने के लिए प्रयास तेज कर देने चाहिए ताकि वह अपनी सीटों में ज्यादा से ज्यादा बढ़त बना ले।
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