कोरोना वायरस की मार को पूरा विश्व झेल रहा है। इसमें खास बात यह है कि अमीर, विकसित व उच्च तकनीक वाले देश भी इस बीमारी की चपेट से नहीं बच सके। कनाडा, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के शीर्ष नेता और उनके पारिवारिक सदस्य भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इस मामले में भारत सरकार की सराहना की जानी चाहिए जिसने बीमारी से बचाव व सावधानी के लिए जिस प्रकार कदम उठाए हैं वह अमेरिका जैसे देशों से कम नहीं हैं।
भारत की सबसे बड़ी सफलता वायरस से पीड़ित मरीजों की पहचान करना है। केंद्र सहित राज्य सरकारों द्वारा हवाई अड्डों पर विदेशों से लौटे लोगों की निरंतर जांच की जा रही है। इसी तरह कोई जनसभा करना, सिनेमा, जिम, स्विमिंग पुल बंद करवाने के साथ-साथ स्कूलों व कॉलेजों में भी छुट्टियां कर दी गई हैं। यही कारण है कि अधिक जनसंख्या वाले देशों में वायरस फैलने की कम रिपोर्टें हैं। अब तक इटली में 1400, चीन में 3000 से अधिक और अमेरिका में 57 मौतें हो चुकी हैं। भारत में यह आंकड़ा केवल दो है और पीड़ित मरीजों की संख्या भी 100 के करीब है। चीन, ईरान और इटली जैसे देशों से भारतीय लोगों को वापिस लाने के लिए सरकार ने सही समय पर कदम उठाया है। प्रभावित देशों से अन्य देशों के नागरिकों को निकालने में भी भारत की भूमिका अहम रही है।
दूसरी ओर वुहान में फंसे पाकिस्तानी नागरिक अपनी सरकार की नाकामी के कारण सरकार को कोसते रहे। हमारे देश में अब तक 70 हजार से ज्यादा टैस्ट हो चुके हैं और जांच किटों की कहीं कोई कमी नहीं आई। यह भी भारत सरकार की उपलब्धि है कि सार्क देशों को एकजुट होकर वायरस के साथ लड़ने के लिए मंच भी मुहैया करवाया है। भारत की पहल पर सार्क देशों ने तालमेल बनाने के लिए वीडियो कांफ्रैंस शुरू की है, फिर भी भारत सरकार को इस मामले में निरंतर नजर रखने की आवश्यकता है क्योंकि इटली, ईरान जैसे देशों की बजाय हमारी जनसंख्या बहुत अधिक है।
देश में टेस्ट लैब में ओर इजाफा किया जा सकता है। अभी भी कई देश जिनकी जनसंख्या बहुत कम है, वहां भारत के मुकाबले टेस्ट कई गुणा ज्यादा किए जा चुके हैं। दरअसल हमारे देश व विदेशों में बुनियादी अंतर यही है कि विकसित देशों में लोग खुद टेस्ट करवा रहे हैं, लेकिन हमारे देश में टेस्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाए जाते हैं। कुछेक लोग हैं जो अपनी इच्छा से टेस्ट करवाते हैं। कई मामलों में संदिग्ध मरीज अस्पताल से टेस्ट करवाने से पहले ही गायब हो जाते हैं तब वह पुलिस को ढूंढकर लाने पड़ते हैं। पंजाब में बाहर के देशों से आए 335 व्यक्ति लापता हैं। कई लोग 14 दिनों की निगरानी में रहने से कन्नी कतराते हैं और स्वास्थ्य अधिकारियों को सहयोग नहीं देते इसीलिए यह लोगों का भी कर्तव्य है कि वह अपने जीवन और देश के प्रति कर्तव्यों को समझते हुए सरकार का सहयोग करें।
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