1179 के साथ चरखी दादरी जिला प्रदेशभर में अव्वल
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जीन्द दूसरे और भिवानी तीसरे स्थान पर
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। हरियाणा प्रदेश के लोगों की लिंगभेद (Haryana’s Sex Ratio) को लेकर सोच में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। अब हरियाणा प्रदेश के निवासी बेटे व बेटियों में कोई अंतर नहीं कर रहे हैं। इसी के चलते हरियाणा प्रदेश के औसत लिंगानुपात मे 20 अंक का सुधार आया है। जनवरी 2022 में जन्म के आधार पर लिंगानुपात की सीआरएस रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश में पहले नंबर पर दादरी जिला तथा दूसरे नंबर पर जींद जिला तथा तीसरा स्थान भिवानी जिला ने प्राप्त किया है। नए आंकड़ों के अनुसार अब हरियाणा का औसत लिंगानुपात प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 914 से बढ़कर 934 हो गई हैं।
हरियाणा के चरखी दादरी जिला के प्रशासन, स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षा विभाग आंगनबाड़ी वर्कर्स के प्रयासों के चलते जहां दादरी लिंगानुपात के मामले में फिसड्डी होता था, अब वह पहले स्थान पर पहुंच गया है। दादरी जिला में लिंगानुपात में हुए सुधार को लेकर दादरी के एसडीम डॉ. विरेंद्र सिंह, दादरी की महिला बाल कल्याण एवं विकास अधिकारी गीता सहारण व मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुदर्शन पंवार ने प्रदेश भर में जिला के प्रथम आने के पीछे उनके द्वारा किए गए प्रयासों का जिक्र करते हुए बताया कि ग्रामीण स्तर पर गर्भवती महिलाओं की काऊंसलिंग कर उन्हें बेटा व बेटी के बीच भेदभाव को खत्म करने को लेकर प्रयास किए।
लिंगभेद दूर करने को लेकर ग्रामीण स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए। जिन गर्भवती महिलाओं की दो लड़कियां या एक लड़की है, उनका ना केवल सुपरविजन बढ़ाया, बल्कि उनकी प्रत्येक माह स्वास्थ्य की चैकिंग की गई तथा उनकी निरंतर काऊंसलिंग की गई तथा उनकी मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान दिया गया। जिसके चलते लिंगानुपात में अभूतपूर्व सुधार हुआ। लड़का-लड़की के भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूसीडी व शिक्षा विभाग ने मिलकर पिछले एक वर्ष के दौरान महिला सप्ताह, नेशनल गर्ल चाईल्ड डे, महिला शक्ति को सम्मानित करने, महिलाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं व सामाजिक लोगों को सम्मानित करने के कार्य किए, जिसके चलते बेटा व बेटी को जिले भर में एक माना जाने लगा तथा बेटा-बेटी के भेदभाव को खत्म करने में वे सफल हो पाएं।
इसी का नतीजा रहा कि हरियााण प्रदेश में दादरी जिले का जनवरी 2022 में लिंगानुपात 1179 तक पहुंच गया। जो प्रदेश भर में सर्वाधिक है। इसके अलावा लिंग जांच करने वाले रैकेट को पकड़ने व पीएनडीटी एक्ट को कड़ाई से लागू करने की गतिविधियों को भी बढ़ाया गया, जिसका परिणाम लिंगानुपात सुधार के रूप में देखने को मिला।
चरखी दादरी जिले के गांव कमोद के निवर्तमान सरपंच सुदर्शन कुमार ने बताया कि उनके गांव में बेटी पैदा होने पर उसके नाम से पेड़ लगाने की प्रथा शुरू की गई तथा बेटियों के नाम से घर के बाहर से नेम प्लेट लगाई गई। इसके साथ ही ग्राम पंचायत द्वारा बेटियों को जन्म देने वाले माता-पिता को 26 जनवरी व 15 अगस्त के कार्यक्रमों में सम्मानित करने का कार्य किया गया। इससे महिलाओं के दिल-दिमाग में बेटियों को लेकर हीन भावना समाप्त हुई तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा की समझ पैदा हुई तथा लिंगानुपात में सुधार हुआ।
समाजसेवी अंजू आर्य व विरेंद्र फौजी ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने में दादरी जिला ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई तथा गर्भवती महिलाओं व बेटियों को जन्म देने वाले पिता ने जो अपनी सोच में परिवर्तन किया, वे लिंगानुपात सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल रहे। आज चरखी दादरी जिले में महिलाएं बेटियों को जन्म देकर मायूस नहीं, बल्कि गौरवांवित महसूस करती है।
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