”धागों में बंधकर पत्थर उतर आए साड़ियों पर”

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''धागों में बंधकर पत्थर उतर आए साड़ियों पर''

जयपुर (सच कहूं न्यूज)। इसे कलाओं का संगम कहा जा सकता है…..जहां पत्थरों से बनी राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों को बुनकरों के कुशल हाथों ने धागों में पिरोकर विश्व प्रसिद्ध कोटा डोरिया की साड़ियों पर उतार दिया है। इन अनूठी साड़ियों के साथ हैं सांगानेरी ब्लॉक प्रिंट के खूबसूरत ब्लाउज पीस, जिन्होंने इन साडियों की खूबसूरती में अनगिनत चांद लगा दिए हैं। Jaipur News

ये अनूठा कला संगम हाल में सामने आया जब एक कला संग्राहक संस्था ने इन अनूठी साड़ियों को अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया। देशभर में इस समय त्योंहारों की धूम है। नवरात्र, दशहरा, करवा चैथ और फिर दिवाली और दिवाली के बाद हमारे यहां होने वाली त्योंहारो जैसी ही शादियाँ….इन्हें देखते हुए इन लीक से हट कर बनाई गई अनूठी साड़ियों का खासा क्रेज देखा जा रहा है…..वैसे भी त्योंहार पर कुछ अलग दिखने की चाहत सभी की होती है….और इसके लिए इन साड़ियों से बेहतर क्या हो सकता है।

रंग-रंगीला राजस्थान बेजोड स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है

रंग-रंगीला राजस्थान अपने रेगिस्तान ही नहीं बल्कि बेजोड स्थापत्य कला के लिए भी जाना जाता है। यहां के महल, किले और हवेलियां देखने पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं, लेकिन सोचिए ये महल, किले और हवेलियां खुद इनके चाहने वालों के हाथ में पहुंच जाएं तो कैसा रहे….कुछ इसी सोच के साथ केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय, आयुक्त हथकरघा, के अधीन राजस्थान जयपुर स्थित वीवर्स सर्विस सेंटर ने 2021 में अनूठा प्रयोग किया और राजस्थान की वास्तुकला से प्रेरित कोटा डोरिया साड़ियां, जो की राजस्थान से एकमात्र हथकरघे का जी आई प्रोडक्ट है ,तैयार कराईं। कोटा डोरिया साड़ियां किसी परिचय की मोहताज नहीं है। पूरी दुनिया में ये साड़ियां अपने अनूठ रंग संयोजन और बुनाई के लिए जानी जाती हैं।

दरअसल वीवर्स सर्विस सेंटर समर्थ नाम की एक योजना के तहत बुनकरों की दक्षता बढ़ाने के प्रयास करता है। इसी के तहत कोटा जिले के कैथून ब्लाक में तहत बुनाई प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया और कोटा महिला बुनकर संगठन की अध्यक्ष श्रीमती बदरुन्निसा के कुशल मार्गदर्शन में इन अनूठी साड़ियों के डिजाइन तैयार किए गए। इन पर जयपुर के हवामहल और अल्बर्ट हॉल से लेकर आमेर महल की बारादरी और जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस तथा नए हाईकोर्ट के भवन तक बहुत कुछ धागों से बुन दिया गया।

रेड अर्थ की वेबसाइट के जरिए छोटे से कस्बे कैथून के कोटा डोरिया साड़ियों के बुनकरों की कला आज पूरी दुनिया में पहुंच रही है और इसके साथ ही पहुंच रही है राजस्थान की बेजोड़ स्थापत्य कला….यह सिर्फ कलाओं का संगम ही नहीं…..कला और पर्यटन का संगम भी है….जिसे भरपूर प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए। Jaipur News

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