वर्ष 2006 में सेना मेडल से किया गया था सम्मानित
फिलहाल इंजीनियर रेजीमेंट को कर रहे थे कमांड
चाइना बॉर्डर पर भी शौर्य के साथ रहे थे तैनात
गुरुग्राम (संजय मेहरा/सच कहूँ)। बुधवार को पंजाब के गिदड़बाहा के पास सड़क दुर्घटना में कर्नल प्रीत सिंह की निधन हो गया।(last-farewell-to-colonel-preet-singh) गुरुवार को कर्नल प्रीत सिंह को गुरुग्राम में सैन्य सम्मान के साथ नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। उनका परिवार गुरुग्राम के सेक्टर-22 में रहता है। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने को नेता, आर्मी के वरिष्ठ, कनिष्ठ अधिकारियों के साथ काफी संख्या में लोग पहुंचे।
मूलरूप से हरियाणा के जिला झज्जर के गाँव सुरहेली के रहने वाले रघुबीर सिंह एवं सरबती देवी के चार पुत्रों में से तीसरे नंबर के प्रीत सिंह का जन्म दो फरवरी 1975 को हुआ था।
मार्च 2001 में 26 वर्ष की उम्र में वे आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में चयनित हुए। सेना की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे आर्मी मुख्यालय की ओर से डिप्टी डायरेक्टर जनरल इंद्राबालन ने बताया कि अपनी ड्यूटी के प्रति निष्ठावान प्रीत सिंह की जहां भी तैनाती हुई, उन्होंने अपनी यूनिट में बेहतरीन काम किया। उनकी तैनाती चाइना बॉर्डर, जम्मू एंंड कश्मीर में भी रही, जहां पर हमेशा स्थिति गंभीर रहती है।
विपरीत परिस्थितियों में भी प्रीत सिंह ने अपनी ड्यूटी के प्रति निष्ठावान रहते हुए नाम रोशन किया। उनकी इसी निष्ठा की बदौलत ही उन्हें वर्ष 2006 में राष्ट्रपति द्वारा सेना मेडल से सम्मानित किया गया। डीडीजी इंद्राबालन ने बताया कि प्रीत सिंह के देहांत को बेटल कैजुअल्टी माना जायेगा और उसी के अनुरूप उनके परिवार को सेना के बेनिफिट्स दिये जायेंगे। इस समय उनकी तैनाती राजस्थान बॉर्डर पर थी। वे वहां इंजीनियर्स रेजीमेंट को कमांड कर रहे थे। कर्नल प्रीत सिंह अपने पीछे माता-पिता, तीन भाई अनिल कुमार, राजेश, प्रवीण कुमार, पत्नी स्वाति के साथ एक बेटा (7 साल) व एक बेटी (2 साल) समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं।
भटिंडा से आर्मी हेलिकॉप्टर में दिल्ली लाया गया शव
पंजाब के गिदड़ाबाहा में सड़क दुर्घटना के बाद कर्नल प्रीत सिंह को भटिंडा में उपचार के लिये ले जाया गया था। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। वहां से प्रक्रिया पूरी करने के बाद कर्नल प्रीत सिंह के शव को आर्मी के हेलिकॉप्टर से दिल्ली में लाया गया।
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