Haryana: हरियाणा के गरीबों और आढ़तियों के लिए सीएम सैनी ने कर दिया बड़ा ऐलान

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Haryana: हरियाणा के गरीबों और आढ़तियों के लिए सीएम सैनी ने कर दिया बड़ा ऐलान

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां आयोजित हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा विलेज कॉमन लैंड (रेगुलेशन) एक्ट, 1961 में संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई। संशोधन के अनुसार अधिनियम संख्या 19/2024 के माध्यम से, शामिलात देह में स्थित भूमि, जो कि पंजाब विलेज कॉमन लैंड (रेगुलेशन) नियम, 1964 के लागू होने से पहले कलेक्टर द्वारा हरियाणा भूमि उपयोग अधिनियम, 1949 के तहत 20 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर दी गई थी, को शामलात देह के दायरे से बाहर कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, ऐसी भूमि को पट्टे पर देने से संबंधित प्रावधान को हटाने की मंजूरी प्रदान की गई है। Haryana

इसके अतिरिक्त, अधिनियम के तहत पहले यह कहा गया था कि ग्राम पंचायत अनधिकृत रूप से निर्मित मकानों द्वारा कब्जा की गई 500 वर्ग गज तक की भूमि को बाजार मूल्य से कम पर नहीं बेच सकती है। इसके अलावा, पहले ऐसे मामलों में अनुमोदन का अधिकार राज्य सरकार के पास था, अब यह निर्णय लिया गया है कि इस संबंध में अनुमोदन राज्य सरकार के बजाय निदेशक पंचायत द्वारा प्रदान किया जाएगा।

आढ़तियों को प्रदान की बड़ी राहत, सरकार वहन करेगी 3.09 करोड़ की राशि

हरियाणा सरकार ने आढ़तियों को बड़ी राहत देते हुए रबी खरीद सीजन 2024-25 में नमी के कारण तोल में हुई कमी के नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें प्रतिपूर्ति राशि प्रदान करने को स्वीकृति प्रदान की है। इसके लिए राज्य सरकार कुल 3,09,95,541 रुपये की राशि वहन करेगी। कुल राशि में से 77,22,010 रुपये खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा वहन किए जाएंगे, जबकि 1,71,16,926 रुपये की राशि हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड (हैफेड) द्वारा वहन की जाएगी तथा 61,56,605 रुपये हरियाणा राज्य भंडारण निगम (एचएसडब्ल्यूसी) द्वारा वहन किए जाएंगे। Haryana

हरियाणा वन्य जीव (संरक्षण) नियम, 2024 को मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा वन्य जीव (संरक्षण) नियम, 2024 को मंजूरी दी गई। नए नियमों के तहत वन्यजीव विभाग से संबंधित विभिन्न प्रकार के परमिट प्राप्त करने के लिए मानदंड स्थापित किए गए हैं। हरियाणा वन्यजीव (संरक्षण) नियम, 1974 को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत निरस्त कर दिया गया है।

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