मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयार की रूपरेखा

हरियाणा को वर्ष 2026 तक बाढ़ मुक्त बनाने का लक्ष्य

  • 528 परियोजनाओं को मंजूरी, 1100 करोड़ रुपये होंगे खर्च

चडीगढ़। (सच कहूँ/अनिल कक्कड़) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2026 तक हरियाणा को बाढ़ मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिन इलाकों में जलभराव की अधिक समस्या है, उसके स्थायी समाधान के लिए इस वर्ष विशेष प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। इसके अलावा, जल संरक्षण और बरसात के पानी का दोबारा उपयोग करने के लिए भी अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है। इससे बाढ़ की स्थिति से निपटने के साथ-साथ ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग व सूखे क्षेत्रों में पानी का सदुपयोग किया जा सकेगा।

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इसके लिए सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में 528 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके तहत लगभग 1100 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। मुख्यमंत्री वीरवार को चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की 54वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे। इनके अलावा, कृषि मंत्री जेपी दलाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

खेतों में खड़े पानी का होगा इस्तेमाल

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेतों में खड़े पानी की निकासी और पानी के दोबारा इस्तेमाल के लिए 312 करोड़ रुपये से ज्यादा की योजनाएं अनुमोदित की गई हैं। इस बार जलभराव की निकासी के लिए क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से योजनाएं तैयार की गई हैं। भिवानी जिले को एक क्लस्टर माना गया है, जिसके तहत 8 गांवों कुंगड़, जटाई, धनाना, बढ़ेसरा, सिवाड़ा, प्रेमनगर, घुसकानी, ढाणी सुखन के आबादी एरिया व जलभराव वाले इलाकों में एचडीपीई पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इस पर लगभग 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी।  इससे लगभग 2 हजार एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी।

इसके अलावा, 3 गाँवों सिंघवा खास, पुठ्ठी, मदनहेड़ी को मिलकार एक योजना बनाई गई है, जिस पर 9.31 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। इससे लगभग 1500 एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी। इसी प्रकार, लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत की एक ओर योजना बनाई गई है, जिसके क्रियान्वित होने से 885 एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी।इसी प्रकार, जिला हिसार को क्लस्टर मानकर 3 गांवों भाटोल जाटान, रांगड़ान और खरकड़ा के खेतों से पानी की निकासी के लिए 3.20 करोड़ रुपये की योजना अनुमोदित की गई है। इससे लगभग 750 एकड़ जलभराव वाली भूमि का सुधार होगा। इसके अलावा, खरबला गांव के लिए भी 2.50 करोड़ रुपये की योजना को भी अनुमोदित किया गया है।जिला रोहतक के लिए भी अलग से योजनाओं को मंजूरी दी गई है।

जलभराव भूमि पर झीलें बनाने की करें योजना तैयार

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां बहुत ज्यादा जलभराव होता है, ऐसी भूमि पर झीलें बनाई जाएं। विशेषकर एनसीआर जिलों में लगभग 100 झीलें बनाने की एक योजना तैयार की जाए। इन झीलों के बनने से जलभराव की समस्या का भी स्थायी सामाधान होगा और भू-जल रिचार्जिंग की क्षमता भी बढ़ेगी। इन झीलों को बनाने के लिए किसानों से उनकी जलभराव वाली भूमि के प्रस्ताव मांगे जाएंगे। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवार भूमि का अध्ययन करवाया जाए कि किस प्रकार की भूमि या किस इलाके में कितने सेंटीमीटर तक बारिश का पानी जमीन सोख सकती है।

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