सीएम फ्लाइंग ने मौके पर पकड़ा कंपाउंडर व स्टॉफ़
हिसार। (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। एक इंसान के द्वारा किया गया रक्तदान किसी भी बीमार, घायल व गंभीर रूप से किसी भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जान बचाने के काम आता है। (Hisar News) यही एक वजह है कि स्थानीय सरकारों से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन तक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाता है। पर अफसोस की बात है कि जब रक्तदान करने वाला इंसान तो इंसानियत के काम आने वाला हो और रक्तदान कर रहा हो। पर जहाँ रक्तदान किया जा रहा हो वहाँ न तो किसी प्रकार की अथॉरिटी हो और ना ही प्रशिक्षित स्टॉफ। ऐसी जगह पर किया गया खून दान किसी की भी जान जोखिम में डाल सकता है। हिसार में वीरवार को ऐसा ही हुआ। यह बात कहने व सुनने में बड़ी कड़वी लग रही है, पर सच्चाई यही है।
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से चल रहा है अस्पताल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से चलने वाले एक अस्पताल में कुछ ऐसा ही खून के नाम पर गोरखधंधा चल रहा था। शिकायत पर जब मुख्यमंत्री की टीम (Hisar News) ने दोपहर बाद करीब 3 बजे अस्पताल में छापा मारा तो बिना किसी रिकॉर्ड के एक व्यक्ति का रक्त लेते हुए मिले। सीएम टीम के पदाधिकारियों ने पुलिस की मौजूदगी में एक कंपाउंडर एक अन्य स्टाफ को जांच के लिए हिरासत में लिया। सूचना मिलने के बाद सिविल सर्जन हिसार की टीम भी मौके पर पहुंच गई। यह पूरा मामला तोशाम रोड के पास स्थित महात्मा गांधी अस्पताल का है।
शिकायत के आधार पर पड़ी रेड
यहां पिछले कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि इस अस्पताल में बिना किसी परमिशन के ब्लड बैंक चलाया जा रहा है। इसी शिकायत को आधार बनाकर जब सीएम की टीम ने रेड मारी तो मौके पर ऐसा ही मिला। अब सोचने की बात यह है कि जिस व्यक्ति का रक्त लिया जा रहा था, वह किस उद्देश्य से लिया जा रहा था ? क्या वह वास्तव में ही किसी जरूरतमंद के लिए लिया जा रहा था… या फिर उनकी मंशा कोई और थी। अभी तक इस मामले में सीएम टीम के अधिकारी स्थानीय पुलिस की निगरानी में जांच कर रही है। समाचार लिखे जाने तक इस मामले की जांच जारी थी।
तह तक जांच करनी चाहिए।
यह पूरे समाज के लिए सोचने का मामला जरूर है। रक्तदान करने से पहले अधिकृत ब्लड बैंक या अधिकृत रक्तदान शिविरों का पता होना चाहिए लेकिन रक्त के नाम पर बहुत से लोग इमोशनल ब्लैकमेल भी कर लेते हैं। यही एक वजह है कि जब भी किसी व्यक्ति के लिए रक्तदान करने की बात आती है तो व्यक्ति भावनाओं में बहकर रक्तदान करने चला जाता है। पर यदि इसी प्रकार बिना अधिकृत डॉक्टर या स्टॉफ यदि रक्त ले रहा हो तो रक्तदाता की जान ही जोखिम में डल सकती है। (Hisar News) इस विषय में पुलिस प्रशासनिक, अधिकारियों व सरकार को तह तक जांच करनी चाहिए। ताकि भविष्य में इस प्रकार की गलती दोबारा ना हो।
टीम में शामिल सब इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह व राकेश ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जाँच चल रही है। उन्होंने कहा की मौके पर एमबीबीएस स्तर का भी चिकित्सक मौजूद माहि मिला।
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