अभी तक मात्र 11 मामलों में ही मिली दोषियों को सजा
चंडीगढ़ (सच कहूँ/अश्वनी चावला)। भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जितनी मनोहर लाल की सरकार चिंतित है, प्रशासनिक कार्रवाई उतनी ही ढ़ीली है। विगत 5 सालों में दर्ज हुए 250 मामलों में 73 मामलें रद्द कर दिए गये तो 11 ऐसे मामले हैं जिनको सरकार आज तक ट्रेस ही नहीं कर पाई। यहां यह भी बता दें कि भ्रष्टाचार के मामलों में हरियाणा भर में गुरूग्राम पहले नम्बर पर है तो मुख्यमंत्री का जिला करनाल इस मामले में दूसरे नम्बर पर हैं।
लोगों को अदालतों ने सबूत प्रर्याप्त नहीं होने के चलते कर दिया बरी
इन दोनों जिलों में से क्रमवार अब तक 30 ओर 23 मामलें रजिस्टर्ड किये गए हैं जबकि दोनों जिलों में से मात्र एक-एक ही मामले में दोषी को सजा सुनाई गई है। यहां गुरूग्राम में 8 केस रद कर दिए गए वहीं 1 केस ट्रेस ही नहीं हो पाया। उधर करनाल जिले में भी 23 मामलों में से 6 कैंसल कर दिए गए और 2 ट्रेस नहीं हो पाए। जबकि इन दोनों जिलों में 6 लोगों को अदालतों ने सबूत प्रर्याप्त नहीं होने के चलते बरी कर दिया है।
हैरानी की बात तो यह है कि भ्रष्टाचार निवारण केसों में सरकार किसी भी तरह की उपलब्धि हासिल करती नजर नहीं आ रही है क्योंकि अगर 250 मामलों में से सिर्फ 11 मामलों में ही सजा हो पाती है तब भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों या कर्मचारियों के हौंसले सदैव ही बुलंद रहेंगे।
- जिला दर्ज मामलें अनट्रेस कैंसिल मामले सजा बरी
- गुरुग्राम 30 1 8 1 2
- करनाल 23 2 6 1 4
- फरीदाबाद 19 2 5 0 1
- जींद 17 1 4 2 0
- कैथल 14 0 4 2 3
- सोनीपत 13 1 7 0 0
- पानीपत 13 1 1 0 0
- मेवात 12 0 6 0 4
- हिसार 11 0 4 0 0
- सिरसा 11 0 1 0 2
- फतेहबाद 11 0 5 0 0
- यमुनानगर 10 1 2 1 3
- झज्जर 10 0 2 1 0
- रोहतक 9 0 2 1 1
- पलवल 7 0 3 0
- भिवानी 7 0 1 0 1
- पंचकुला 6 1 3 0 1
- अम्बाला 6 0 1 0 2
- कुरुक्षेत्र 6 0 0 2 1
- रेवाड़ी 5 1 2 0
- नारनौल 5 0 2 0 1
- दादरी 5 0 4 0 0
- कुल 250 11 73 11 28
ऐसे ही चलती रही कार्रवाई तो कैसे खत्म होगा भ्रष्टाचार?
हरियाणा राज्य में पिछले 5 सालों में पुलिस द्वारा चल रही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सिर्फ 11 मामलों में ही सजा होने के चलते अब अधिकारियों की कारगुजारी पर ही शक होना शुरू हो गया है। यदि इस तरह से ही कार्रवाई चलती रही तो भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर कैसे नकेल कसी जा सकती है। यहां पर सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि पिछले 5 सालों में 250 मामलों में से 73 मामले रद कर दिए गए और 11 मामले अनट्रेस दिखाए गए हैं जबकि बरी होने वालों की गिनती सजा होने वालों से दोगुने से भी ज्यादा होते हुए 28 तक पहुंच चुकी है।
भ्रष्टाचार को पूरी तरह जड़ से मिटाने को लेकर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की दिलचस्पी रही है, जिसके चलते उन्होंने अपनी पिछली सरकार के दौरान अनेकों ऐसे कार्य किए हैं जिसमें भ्रष्टाचार को खत्म करने की कोशिश की गई है। बावजूद इसके हरियाणा में भ्रष्टाचार उस स्तर पर खत्म नहीं हुआ है। जिस स्तर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल करना चाहते हैं। यहीं पर सवाल यह उठता है कि अगर मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना चाहते हैं तो भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज हुए मामलों में इतनी देरी क्यों हो रही है?