सफाई रखने में मध्यप्रदेश ने एक बार फिर बाजी मारी है। राज्य का शहर इंदौर पूरे देश में लगातार चौथी बार पहले नंबर पर आया है। वैसे पहले साफ 20 शहरों में मध्यप्रदेश के 4 शहर हैं लेकिन चंडीगढ़ जैसे साफ व सुंदर शहर को भी मध्यप्रदेश ने पीछे छोड़कर नई मिसाल कायम की है। चिंता वाली बात यह है कि दिल्ली हमारे देश की राजधानी है, जो सफाई के मामले में हमारे देश के लिए मिसाल होनी चाहिए। चाहे प्रत्येक वर्ष साफ शहरों की सूचि जारी की जाती है लेकिन इस मुहिम को अभी पूरा देश में अच्छी तरह अपनाने की सख्त आवश्यकता है। राज्य सरकारों की लापरवाही आम जनता में जारूकता व जिम्मेवारी की कमी है। यही कारण है कि विदेशी अभी भारत घूमने आए भारत को नापसंद करते हैं।
दरअसल सफाई को भी राजनीतिक चश्मे के साथ देखा जाता है, जिन राज्यों में गैर-भाजपा वाली सरकारें होती हैं वहां सफाई को भाजपा की मुहिम मानकर इससे दूरी बना ली जाती है लेकिन वास्तविकता यह है कि सफाई सभी की जरूरत है व यह तंदरूस्ती का आधार है। पवित्र धर्म ग्रन्थों में भी सफाई व शुद्धता को जीवन के लिए आवश्यक माना गया है। हमारे बहुत से धार्मिक स्थानों पर सफाई का विशेष ध्यान रखा गया लेकिन लोग अपने जीवन में इसके महत्व को लागू नहीं कर रहे। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां सन् 2011 में देश में सफाई का इंकलाब लाए व देश के 32 महानगरों व शहरों की नुहार ही बदल दी। सरकार ने भी पूज्य गुरू जी के इस नेक कार्य अनुसार सफाई को सरकारी एजेंडे में शामिल किया।
अगर लोग सफाई के महत्व को सदा के लिए अपनी जिंदगी में अपना लें तो लोगों को बहुत सी बीमारियों से कुछ ही समय में निजात मिल सकती है। देश में पूज्य गुरू जी ओर से चलाए गए सफाई महा अभियानों व सरकार की मुहिम से डेंगू, डायरिया, मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप कम हुआ है। आवश्यकता इस की बात है कि सफाई को मानवीय जीवन की एक आदत व शैली में बदला जाए। तरक्की के लिए तंदरूस्ती जरूरी है, जिससे हमारा सामाजिक रूतबा भी बढ़ता है। देश को गंदगी व कलंक से मुक्ति के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना होगा।
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