घायलों में 25 पुलिसकर्मी, 10 राजपूत समाज के लोग
जयपुर (सच कहूँ न्यूज)। कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच को लेकर वीरवार को दूसरे दिन भी प्रदेश में बवाल मचा रहा। प्रदेश के दो जिलों नागौर और चूरू में हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं। बुधवार रात पुलिस और राजपूत समाज के लोगों के बीच कई स्थानों पर संघर्ष हुआ। दोनों से फायरिंग में हरियाणा के रोहतक निवासी लालचंद की मौत हो गई, वह वाहन का ड्राइवर था, जबकि 35 लोग घायल हो गए। इनमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है। घायलों में 25 पुलिसकर्मी और 10 राजपूत समाज के लोग हैं।
आनंदपाल के पैतृक गांव सांवराद में सरकार द्वारा बुधवार आधी रात बाद कर्फ्यू लगाए जाने की घोषणा के बावजूद वीरवार को सैकड़ों लोग जमा है, पास के ही डीडवाना सहित आसपास के अन्य क्षेत्रों में भी राजपूत समाज के लोगों ने वीरवार को हंगामा किया, कई बार इनकी पुलिस के साथ झड़प भी हुई। प्रशासन ने चूरू एवं नागौर के आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी है तथा नागौर, चूरू, बीकानेर एवं सीकर जिलों में इंटरनेट सेवा अगले 24 घंटों के लिए बंद कर दी।
सीबीआई जांच नहीं होगी : कटारिया
गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पुलिस ने सही काम किया,अपराधी की कोई जाति नहीं होती, एनकाउंटर पूरी तरह से सही था। राज्य सरकार सीबीआई को जांच नहीं सौंपेगी, आनंदपाल के परिजन या राजपूत समाज चाहे तो कोर्ट से सीबीआई जांच के आदेश करा ले, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है।
क्या है पूरा विवाद
पुलिस ने आनंदपाल को 24 जून की आधी रात चुरू में एक मुठभेड़ में मार गिराया था। आनंदपाल का सुराग उसके गुर्गे देवेंद्र उर्फ गट्टू से मिला था।
उसे आनंदपाल के भाई रूपेश उर्फ विक्की के साथ गिरफ्तार किया गया था। सुराग मिलने के बाद पुलिसवालों ने आनंदपाल को घेरा। उसने बचने के लिए महिलाओं को ढाल बनाया। पुलिसवालों पर एके-47 से करीब 100 राउंड गोलियां भी बरसार्इं। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की और आखिरकार 6 गोलियां खाकर आनंदपाल ढेर हो गया। एनकाउंटर में एक पुलिस अफसर सूर्यवीर सिंह और कंस्टेबल सोहन सिंह जख्मी भी हुए थे।
अंतिम संस्कार नहीं
आनंदपाल सिंह का परिवार इस थ्योरी पर यकीन नहीं करता। इसलिए सीबीआई जांच की मांग को लेकर आनंदपाल का अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है। पुलिस को अंदेशा है कि अब शोक जताने के नाम पर आनंदपाल के घर कई कुख्यात बदमाश पहुंच रहे हैं। शोक की आड़ में हिंसा की जा रही है।
राजपूतों के सवाल
- जब आनंदपाल खुद फरार था। उसका गुर्गा भी कहीं और था, तो पुलिस को आनंदपाल का सुराग कैसे मिल गया।
- जब आनंदपाल एके-47 से फायरिंग कर रहा था। उसके पास कारतूस भी बचे थे, तो पुलिस आनंदपाल के करीब तक कैसे पहुंच गई।
- पुलिस शीशे के जरिए आनंदपाल पर गोली चलाने की बात करती है। रात के वक्त शीशे में देखकर गोली कैसे चलाई जा सकती है।
- इतनी जबरदस्त मुठभेड़ के बीच पुलिस ने उस घर में शीशा कैसे लगाया।
- घायल पुलिसवाले उसी बिरादरी के क्यों है, जिस बिरादरी का आनंदपाल था।
- एके-47 की गोलियां सामने से लगने के बावजूद पुलिसवाले सिर्फ जख्मी कैसे हुए।
- 4 घंटे से ज्यादा चले एनकाउंटर की खबर राज्य के गृह मंत्री और आईजी को क्यों नहीं थी।
रॉबिनहुड मानते हैं लोग
आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाले उसे रॉबिनहुड मानते हैं। जबकि पुलिस रिकॉर्ड में वो इतना कुख्यात गैंगस्टर था कि अदालत को भी एक नहीं 6 बार उसे भगोड़ा घोषित करना पड़ा। एनकाउंटर से करीब डेढ़ साल पहले वो कैद से फरार हो गया था। उसकी तलाश में हजारों पुलिवाले लगे हुए थे।
बोलता था फरार्टेदार अंग्रेजी
सिर पर हैट, आंखों पर चश्मा, चमकदार कोट, इर्द-गिर्द पुलिसवाले। जीते-जी दबंगई से रहने वाला गैंगस्टर आनंदपाल कानून का खासा जानकार था क्योंकि वह लॉ ग्रेजुएट था। फरार्टेदार अंग्रेजी बोलता था। खुद पर लगे इल्जामों को ये गैंगस्टर हमेशा एक राजनीतिक साजिश बताता था। उसने मीडिया से बात कही थी।
गुनाहों की फेहरिस्त
- आनंदपाल पूर्व मंत्री हरजीरां बुरड़क के बेटे से 2 वोटों से पंचायत चुनाव हारने के बाद साल 2006 में अपराध की दुनिया में आया।
- 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या की थी।
- गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज हुए।
- आनंदपाल पर लूट, डकैती, गैंगवार, हत्या जैसे करीब 24 मामले दर्ज थे।
- 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगोड़ा घोषित किया हुआ था।
- सीकर की लेडी डॉन अनुराधा चौधरी के साथ मिलकर भी काम किया था।
- सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया था।
- जून 2011 में सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर सरेआम फायरिंग की, जिसमें 3 लोग जख्मी हुए थे।
- आनंदपाल के गैंग में 100 से ज्यादा बदमाश शामिल थे।
- 3 सितम्बर 2015 को डीडवाना कोर्ट से पेशी से लौटते समय 2 साथियों के साथ फरार हुआ था।
- राजस्थान के कई मंत्री, विधायक और अफसर समेत 21 लोगों को आनंदपाल से खतरा था।
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