चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील ने कहा है कि राज्य में अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) चूंकि न तो कोई आपराधिक जांच का कार्य करती है और न ही यह अपने आप में विभाग है इसलिए इसका नाम बदलकर प्रदेश गुप्तचर शाखा (स्टेट इंटेलिजेंस विंग) किया जाए। यह मांग हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील हेमंत कुमार ने प्रदेश सरकार से लिखित में की है।
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उन्होंने रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि हरियाणा में कुछ सरकारी विभागों के पुनर्गठन, विलय और उन्हें नया नाम देने की प्रक्रिया चल रही है, जिसे एक दिसंबर को औपचारिक मंजूरी दिये जाने की संभावना है, उसमें सीआईडी को भी नया नाम एसआईडब्ल्यू दिया जाए। हेमंत कुमार ने अपनी मांग के समर्थन में बताया कि हरियाणा पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 16 के तहत प्रदेश पुलिस की एक गुप्तचर शाखा होनी चाहिए जो खुफिया जानकारी जुटाए, विश्लेषण करे और इंटेलिजेंट इनपुअ दे। यह काम सीआईडी करती रही है, इसलिए एसआईडब्ल्यू के रूप में इसका नामकरण किया जाए।
क्या है मामला
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के विभागों के बारे में सचिवालय के आदेश में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विभागों में क्रमांक 12 पर अंग्रेजी में क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन और हिंदी में ‘गुप्तचर’ लिखा है। गुप्तचर का संबंध खुफिया जानकारी शब्द से है, आपराधिक जांच से नहीं। उन्होंने कहा कि वैसे भी सीआईडी हरियाणा में किसी तरह की आपराधिक जांच नहीं करती, जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत या किसी आपराधिक कानून के तहत आती हो इसलिए सीआईडी नाम सही नहीं है। अलावा इसके हरियाणा सरकार के आबंटन नियमों के अनुसार सीआईडी का पृथक विभाग के रूप में कोई जिक्र नहीं है बल्कि सीआईडी प्रदेश के गृह विभाग के तहत आती है। जाहिर है सीआईडी कोई अपने आप में विभाग नहीं है। कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार में भी इंटेलिजेंस ब्यूरो गृह मंत्रालय के तहत आता है। पड़ोसी राज्य पंजाब में भी प्रदेश पुलिस के तहत स्टेट इंटेलिजेंस विंग है।
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