श्रीलंका हमले की भयावह तस्वीर ईसाई-इस्लाम के बीच खिंचती नफरत की लकीर को दर्शा रही है। खुबसूरत मुल्क में आतंकियों ने आत्मघाती हमला नहीं, बल्कि ईसाई समुदाय के प्रति आतंकियों ने क्रूरता का परिचय दिया। न्यूजीलैंड में पिछले माह दो मस्जिदों में नमाज के दौरान घटी नरसंहार घटना के बाद ही तमाम इस्लामिक आतंकी संगठनों ने ठान लिया था कि वह ईसाईयों पर देर-सवेर बड़ा हमला करेंगे। पहला निशाना उन्होंने श्रीलंका को बनाया है। श्रीलंका में उन्होंने ईसाईयों के धर्मांन्त स्थलों को चुना। हमले ईस्टर प्रार्थना सभा के दौरान कोलंबो के सेंट एंथनी चर्च, पश्चिमी तटीय शहर नेगोम्बो के सेंट सेबेस्टियन चर्च और बट्टिकलोवा चर्च में किए गए। वहीं अन्य तीन विस्फोट पांच सितारा होटलों शंगरीला, दी सिनामोन ग्रांड और द किंग्सबरी में हुए। एक के बाद एक आठ आत्मघाती हमलों से समूचे श्रीलंका को दहला दिया। हमले में 215 बेकसूर लोग मारे गए। जबकि इससे कहीं ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन धमाकों के साथ ही एलटीटीई के साथ खूनी संघर्ष के खत्म होने के बाद करीब एक दशक से श्रीलंका में जारी शांति भी भंग हो गई। शांति बहाली के बाद अब तक का सबसे खतरनाक हमल माना जा रहा है।
2009 में श्रीलंका में लिट्टे आतंक के खात्में के बाद दूसरा बड़ा आतंकी हमला हुआ है। श्रीलंका में वर्षों पहले स्थानीय अलगाववादी गुट ‘लिट्टे’ का प्रभाव खत्म हो गया था। तब से पूरेमुल्क में अमन-शांति का माहौल था। लेकिन 21 अप्रैल की सुबह एक साथ कई जगहों पर हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना ने पुराने दिनों के जख्म हरे कर दिए। श्रीलंका में भगवान बुद्ध का सबसे पुराना मंदिर है। मान्यता है कि उक्त मंदिर में बुद्ध का एक दांत रखा है। उस मंदिर को कई साल पहले लिट्टे ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था लेकिन दांत सुरक्षित रहा। उसके कुछ साल बाद वहां धीरे-धीरे लिट्टे का प्रभाव खत्म हुआ। जनजीवन पटरी पर आया ही था लेकिन एक बार फिर आतंकियों ने अमन प्रिय मुल्क में अशांति का ग्रहण लगा दिया। घटना को पिछले माह न्यूजीलैंड के मस्जिद में नमाज के दौरान घटी दर्दनाक घटना के बदला के तौर पर भी देखा जा रहा है।
लेकिन जांच के आखिरी अपडेट का इंतजार करना होगा।
भारत को पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर रखनी होगी। साथ ही अपने यहां के सभी चर्चों की सुरक्षा बढ़ाने की दरकार है। श्रीलंका दूसरे मुल्कों के मुकाबले शांत मुल्क माना जाता है। वहां के लोग बड़े अदब के साथ पेश आते हैं। जिन जगहों पर ब्लास्ट हुआ है स्वभाग्य से पिछले दिनों मेरा भी वहां करीब दस दिनों तक प्रवास रहा। समूचे श्रीलंका को घूमने और वहां की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिला। देखने में आया कि कोलंबो जैसे शहर में चौबीस घंटे लोगों की आवाजाही रहती है। हर जगह सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त देखने को मिले, लेकिन आतंकियों ने वहां की फिजा में जहर घोलने की कोशिश की है। घटना की टाईमिंग और तरीका देखें तो पता चलता है कि बड़ी प्लानिंग के साथ घटना को अंजाम दिया गया है। आतंकियों ने मुख्यता: निशाना ईसाईयों को ही बनाया। क्योंकि जिन जगहों पर ब्लास्ट किया गया है वहां स्थानीय व पश्चिमी देशों के ईसाईयों की संख्या ज्यादा होती है।
घटना में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 215 लोगों के मरने का सरकारी आंकड़ा पेश किया गया है। ब्लास्ट की मात्रा बहुत तीव्र थी, जो भी चपेट में आया, उसके चीथड़े उड़ गए। घटना में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। घटना के तुरंत बाद श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने आपात बैठक बुलाकर हमले की हर एंगल से जांच के आदेश दिए हंै। श्रीलंका के इकोनॉमिक रिफॉर्म्स एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मिनिस्टर हर्षा डिसिल्वा ने खुद घटनास्थलों का दौर किया। वह स्वयं कई घायलों को अस्पताल लेकर गए। घटना की जगहों पर सेना की कई टुकड़ियों को तैनात कर दिया गया है। सिंगरिया स्थिति सनातन धर्म से जुड़ा रामायण काल की सबसे बड़ा धर्मांत स्थल सीता वाटिका की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई हैं क्योंकि वहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में हिंदू सीता माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। इसके अलावा दूसरे धर्मस्थलीय जगहों की भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। साथ ही जांच में सहयोग करने की भी अपील की। श्रीलंका तमाम सुरक्षा एजेंसियां घटना में लिप्त हमलावरों और अन्य कारणों को खोजने में मुस्तैदी से लगे हैं।
कुछ लोग श्रीलंका की घटना को न्यूजीलैंड की उस घटना से भी जोड़कर देख रहे हैं जिसमें एक मस्जिद में नमाज पढ़ने के दौरान बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर करीब चालीस नमाजियों को मौत के घाट उतार दिया था। हमलावरों ने घटना का बकायदा लाइव वीडियों भी बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया था। पुलिस जांच में हमलावर ने घटना का कारण कई वर्ष पहले एक आतंकी घटना को बताया था जिसमें उनकी बेटी मारी गई थी। न्यूजीलैंड की मस्जिदों में घटना को अंजाम देने वाला एक ईसाई मूल का व्यक्ति था। कहा जा रहा है तभी से कुछ इस्लामिक आतंकी संगठनों ने ठान लिया था कि ईसाईयों से बदला लेंगे। हो सकता है श्रीलंका की घटना न्यूजीलैंड की घटना से संबंध रखती हो। क्योंकि जिन जगहों पर ब्लास्ट किया गया वह ईसाईयों से ताल्लुक रखती है। साथ ही जिन होटलों को टारगेट किया गया वहां ज्यादातर विदेशी ईसाई समुदाय के लोग ठहरते हैं।
खैर, ये सभी कयास मात्र हो सकते हैं, लेकिन जब तक सुरक्षा एजेंसियां घटना के मकसद और उनसे जुड़े लोगों तक नहीं पहुंच जाती। तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। घटना की अंतिम अपडेट का इंतजार करना चाहिए। लेकिन यह तय है घटना को अंजाम किसी नामी आतंकी संगठन ने ही दिया है। प्लान किए सभी बम वक्त पर ब्लास्ट हुए। घटना की प्लानिंग जबरदस्त तरीके से की गई। उन्होंने जिन जगहों को टारगेट किया वहां उनको मन मुताबिक सफलता मिली। श्रीलंका सरकार को घटना के तय तक जाने की दरकार है। कहीं ऐसा तो नहीं एलटीटीई संगठन दोबारा से पैर जमा रहा हो, घटना की तह उन्होंने ही अंजाम दिया हो। हर पहलू की बारीकियों से जांच करने की जरूरत है। श्रीलंका में भारतीयों की संख्या भी ज्यादा रहती है इसलिए वहां के दूतावास को भी सर्तक रहने की जरूरत है।
रमेश ठाकुर
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