मेहनत: खेतों में परिजनों के साथ लगा रहे हैं धान
भटिंडा (मनप्रीत मान)। हमारा भी दिल करता है कि हम भी ठंडें इलाकों में जाकर अपनी छुट्टियां मनाए पर क्या करें कि परिवार की स्थिति ठीक न होने के कारण हम घूमने से वंचित रह जाते हैं।
स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ते विद्यार्थियों के लिए जून माह छुट्टियां मनाने का होता है। इस महीने में स्कूली विद्यार्थी अपने रिश्तेदारों के घरों में जाकर छुट्टियां व्यत्तीत करते हैं। इन दिनों में जहां कुछ विद्यार्थी अपने मां-बाप के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में घूमने के लिए जाते हैं वहीं कुछ विद्यार्थी अपनी, छुट्टियां ननिहाल गांव में मनाते हैं लेकिन कुछ ऐसे विद्यार्थी भी होते हैं जो अपने माता-पिता के साथ काम में हाथ बंटाते हैं।
पंजाब में धान की फसल लगाने का काम जोरों पर चल रहा है। इस मौके बड़ी संख्या में स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ते विद्यार्थी अपने माता-पिता के साथ धान की फसल लगा रहे हैं।
पिता की मदद कर रही हूँ
खेत में अपने पिता बिक्कर खान के साथ धान की फसल लगा रही दसवीं कक्षा की छात्रा विजेता ने बताया कि उसका पिता मजदूरी कर घर का गुजारा चलाता है। वह अपने घर के हालातों को देखते हुए स्कूल की छुट्टियां फुर्सत में बिताने की बजाए अपने पिता के साथ काम में हाथ बंटाकर मना रही है।
पढ़-लिखकर नौकरी करूंगी
बीए में पढ़ाई कर रही सिमरजीत कौर ने कहा कि उसके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। ऊपर से उसकी शिक्षा पर भी हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सारी उम्र मजदूरी करने की बजाए अब सख्त मेहनत कर पढ़ लिखकर कोई नौकरी करना चाहती हूं। यही कारण है कि वह अपने परिवार के साथ पैसे कमाने के लिए धान लगा रही हूँ।
मजदूरी पर निर्भर है परिवार
11वीं कक्षा के विद्यार्थी सुखपाल सिंह निवासी दोदा अपने परिवार के साथ धान की फसल लाने के लिए गांव जयसिंहवाला में आया हुआ है। सुखपाल सिंह ने बताया कि वह दो बहनों का इकलौता भाई है। परिवार का गुजारा मेहनत मजदूरी से चलता है। महंगाई के युग में परिवार के अच्छे दिनों के लिए उसने अपनी छुट्टियों में अपने परिवार के साथ मिलकर पैसे कमाने का फैसला किया।
सरकार गरीब परिवारों के बच्चों के बारे में सोचे
धान की फसल के लिए खेत तैयार कर रहे किसान जगजीत सिंह ने कहा कि मजदूरों के साथ बड़ी संख्या में उनके स्कूलों, कालेजों में पढ़ते बच्चे भी पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीब मजदूरों के बच्चे पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहते हैं और सख्त मेहनत कर रहे हैं। सरकार उन्हें विशेष तौर पर वित्तीय मदद दे ताकि यह बच्चे भी अन्य की तरह अपनी, छुट्टियां का आनंद लें सकें।
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