बीजिंग: चीन के एक सरकारी अखबार के संपादकीय में सीधे-सीधे धमकी देते हुए लिखा गया है कि इससे पहले कि हालात और बिगड़ जाएं और भारत को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ें वो डोकलाम से अपने सैनिक हटा ले।
अखबार लिखता है कि बीजिंग अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता के मामले में किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेग। इससे पहले चीनी विचार समूह के एक विश्लेषक ने रविवार को कहा कि जिस तरह भूटान की ओर से सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण से चीनी सेना को भारतीय सेना ने रोका।
उसी तर्क का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के आग्रह पर कश्मीर में ‘तीसरे देश’ की सेना घुस सकती है। भारतीय सेना चीन के आक्रामक रुख से बेपरवाह होकर भारत, चीन और भूटान के सीमा मिलन बिंदु के पास डोकलाम इलाके में अपने मौजूदगी स्थल पर लंबे समय तक बने रहने की तैयारी कर चुकी है।
विवादित इलाके में तैनात भारतीय सैनिक तंबू लगाकर रह रहे हैं जो इस बात का संकेत है कि जब तक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वहां से अपने सैनिक नहीं बुलाती, वे भी वहां से नहीं हटेंगे।
संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का सरासर उल्लंघन
आलेख में कहा गया है लंबे समय से भारत अंतरराष्ट्रीय समानता और दूसरों के आतंरिक मामलों में दखल नहीं देने के बारे में बात करता रहा है लेकिन दक्षिण एशिया में उसने आधिपत्य वाली कूटनीति अपनाकर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का सरासर उल्लंघन किया है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों को नजरंदाज किया है।
इसमें आरोप लगाया गया है सिक्किम में लोगों के आप्रवासन के जरिए आखिरकार सिक्किम संसद पर नियंत्रण कर लिया गया और भारत ने उसे हड़प कर अपने राज्यों में से एक बना लिया।’ आलेख में कहा गया है घुसपैठ दिखाता है कि भारत को डर है कि चीन सैन्य जरिए से तुरंत पूर्वोतर भारत से मुख्य भारत को अलग कर दो टुकड़े कर सकता है।
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