न्यूयॉर्क (एजेंसी)। चीन (China) ने (America) अमेरिका पर ताइवान के मसले पर ‘बहुत गलत और खतरनाक संकेत’ भेजने का आरोप लगाया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई 90 मिनट की ‘प्रत्यक्ष और ईमानदार’ वार्ता में ताइवान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
अधिकारी ने कहा, ‘हमारे विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि हमारी लंबे समय से चली आ रही चीन नीति में फिर से कोई बदलाव नहीं किया गया है। ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखना बिल्कुल ही अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बैठक पर एक बयान में कहा कि अमेरिका ताइवान पर ‘बहुत गलत, खतरनाक संकेत’ भेज रहा है और ताइवान की स्वतंत्रता गतिविधि जितनी अधिक उग्र होगी, शांतिपूर्ण समझौता होने की संभावना उतनी ही कम होगी।
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अपडेट:
- मंत्रालय ने वांग का हवाला देते हुए कहा,’ ताइवान मुद्दा एक आंतरिक चीनी मामला है।
- अमेरिका को इसे हल करने के लिए किस तरीके का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
- अगस्त में अमेरिकी संसद प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद ताइवान को लेकर तनाव बढ़ गया है।
- इसके बाद बड़े पैमाने पर चीनी सैन्य अभ्यास किया गया।
- साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्वशासित ताइवान की रक्षा करने का संकल्प भी व्यक्त किया गया।
- द्वीप देश की रक्षा के लिए अमेरिकी सैनिकों को प्रतिबद्ध करने के बारे में बाइडेन का बयान उनका अब तक का सबसे स्पष्ट बयान था।
क्या है मामला
व्हाइट हाउस ने जोर देकर कहा है कि उसकी ताइवान नीति नहीं बदली है लेकिन चीन ने कहा कि बाइडेन की टिप्पणी ने स्वतंत्र ताइवान की मांग करने वालों को गलत संकेत दिया। दरअसल चीन ताइवान को अपने प्रांतों में से एक के रूप में देखता है। चीन ने लंबे समय से ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने का दावा किया है और ऐसा करने के लिए बल प्रयोग से इन्कार नहीं किया है। ताइवान की सरकार चीन की संप्रभुता के दावों पर कड़ी आपत्ति जताती है और कहती है कि केवल द्वीप के दो करोड़ 30 लाख लोग ही इसका भविष्य तय कर सकते हैं।
बीबीसी के मुताबिक वांग के साथ ब्लिंकन की बैठक आॅस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों के बीच हुई थी। इसके बाद हिंद-प्रशांत का जिक्र करते हुए एक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया, ‘हम किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हैं, यथास्थिति को बदलें या क्षेत्र में तनाव बढ़ाएं।
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