चीन ने समुद्र में उतारा ‘मिसाइल डिस्ट्रॉयर’

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नई दिल्ली। चीन लगातार अपनी नौसैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है। कुछ दिन पहले ही उसने दुनिया की सबसे ताकतवार पनडुब्बी को समुद्र में उतारा था। इससे पहले उसने स्वदेशी तकनीक से बने युद्धपोत को पानी में उतारा था। अब चीन ने इसी कड़ी में स्वदेशी निर्मित मिसाइल डिस्ट्रॉयर को नौसेना में शामिल किया है। टाइप 055 क्लास का यह गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर दस हजार टन वजनी है और इस पोत को शंघाई में समुद्र में उतारा गया। चीनी मीडिया के मुताबिक यह पोत चीन की नौसेना के लिए काफी अहम साबित होगा।

इन मिसाइलों से लैस है पोत

इस पोत पर जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, क्रुज मिसाइल, एंटी शिप क्रुज मिसाइल और एंटी सबमरीन मिसाइल लगी हैं। चीन की मीडिया के मुताबिक यह युद्धपोत जमीनी लड़ाई में भी काफी सहायक साबित होगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2030 तक चीनी नौसैनिक बेड़े में करीब 415 युद्धपोत होंगे जबकि अमेरिका पास केवल 309 युद्धपोत होंगे। उस वक्त चीन की नौसेना के पास 99 पनडुब्बियां, चार विमानवाहक युद्धपोत, 102 विध्वंसक युद्धपोत, 26 वाहक पोत, 73 दोहरे उपयोग के पोत और कुल 111 मिसाइलों से लैस युद्धपोत होंगे।

पाकिस्तान के लिए भी पनडुब्बी बना रहा चीन

गौरतलब है कि चीन अपने लिए ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लिए पनडुब्बियां तैयार कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान के लिए पनडुब्बियों को बेचना उसके आर्थिक कॉरिडोर का ही एक हिस्सा है। यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि अमेरिका की एक मैगजीन ने वर्ष 2030 में विश्व की जिन सबसे ताकतवर नौसेनाओं का जिक्र किया है उसमें चीन भी शामिल है। चीन के अलावा इसमें भारत, अमरीका और ब्रिटेन भी शामिल है। इसका आधार उस वक्त किसी देश के बाद मौजूद विमानवाहक युद्धपोत और बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस पनडुब्बियां होंगी।

2030 तक भारत के पास होंगे इतने युद्धपोत

वर्ष 2030 तक भारत की नौसेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नौसेना होगी और उसके पास तीन विमानवाहक युद्धपोत होंगे। इनमें विक्रमादित्य, विक्रांत और विशाल का नाम शामिल है। इनके अलावा भारतीय नौसेना में कम से कम नौ विध्वंसक युद्धपोत भी होंगे, जिनमें से दो युद्धपोत गाइडिड मिसाइल से लैस कोलकाता वर्ग के, तीन दिल्ली वर्ग के और चार विशाखापत्तनम वर्ग के होंगे। इनका निर्माणकार्य फिलहाल चल भी रहा है। इसके अलावा भारतीय नौसेना की ताकत बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस पहली अरिहन्त पनडुब्बी के आने से और भी बढ़ गई है। वर्ष 2030 तक भारत के पास छह पनडुब्बियों का एक शक्तिशाली बेड़ा होगा।

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