जरूरतमंदों का सहारा बन रहे ‘आसरा फाउंडेशन’ के बच्चे | Humanity
Panipat(सन्नी कथूरिया)। शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ समाज सेवा में भी छोटे-छोटे बच्चे अहम भूमिका निभा रहे हैं। कक्षा नौवीं से 12वीं के बच्चे आसरा फाउंडेशन के नाम से ग्रुप बनाकर शहर के जरूरतमंद लोगों की मदद करके एक मिसाल कायम कर रहे हैं। आसरा फाउंडेशन की शुरूआत कुछ महीने पहले एक-दो बच्चों ने की थी लेकिन अब धीरे-धीरे 40 बच्चों का ग्रुप बन चुका है, जो लगातार शहर के लोगों को नशे से दूर रहने के लिए पर्यावरण को बचाने के लिए और साथ में ब्लड कैंप लगाकर समाज सेवा का संदेश दे रहे हैं। यह 40 बच्चों का ग्रुप अपनी जेब खर्ची से ही जरूरतमंद लोगों की मदद करता है।
पहला रक्तदान शिविर में 113 यूनिट्स ब्लड एकत्र किया | Panipat News
आसरा टीम अभी तक समाज के हित में बहुत से कार्य कर चुकी है, जैसे गरीब स्कूल में स्टेशनरी का सामान देना, गरीब लड़कियों को पैड्स देना, पौधारोपण, तपती धूप में लोगों-राहगीरों को पानी पिलाना, तपती गर्मी में बेसहारा बेजुबान जानवरों व पक्षियों के लिए लोगों में 200 कसोरे वितरित करना, 250-300 गरीब लोगों को खाना खिलाना आदि। पिछले दिनों आसरा फाउंडेशन ने जैन स्थानक, अंसल में अपना पहला रक्तदान शिविर भी लगाया था जो बहुत सफलता पूर्वक पूर्ण हुआ। इस शिविर में आसरा ने 113 यूनिट्स ब्लड एकत्र किया था। इन सभी बच्चों के माता-पिता इनका सहारा बन कर हर वक्त इनकी ढाल बनकर इनके पीछे रहते हैं व इनका पूरा सहयोग करते हैं। Humanity
जरूरतमंद की मदद के लिए बनाया गया फाउंडेशन : अनवी
आसरा फाउन्डेशन की सदस्या अनवी सिंगला ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए, उन्हें थोड़ा सा आसरा देने के लिए यह फाउंडेशन बनाया गया है। अगर हम युवा इस तरीके से आगे आकर समाज सेवा करेंगे, लोगों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे और नशे को जड़ से खत्म कर देंगे तो उस दिन हमारा देश पहले की तरह सोने की चिड़िया कहलाएगा। Humanity Work
‘आसरा’ एक फैमिली की तरह : राघव अरोड़ा
आसरा मैम्बर राघव अरोड़ा का कहना है कि आसरा की शुरूआत करते समय मुझे पूरा विश्वास था कि हमें सफलता जरूर मिलेगी और अब आसरा टीम एक फैमिली की तरह बन चुकी है। मुझे आसरा का हिस्सा बनने में बहुत गर्व महसूस होता है। हमारा लक्ष्य है कि किसी भी प्रकार से जितना हमसे बन पड़ता है समाज के लोगों की मदद करें।
जितना हो सके दूसरों की मदद करें: ध्रुव
मैम्बर ध्रुव गांधी का कहना है कि मुझे आसरा के साथ जुड़कर बहुत अच्छा लगा। यह एनजीओ हमने इस सोच के साथ शुरू किया था कि देश और समाज की सहायता करेंगे। मैं आसरा के साथ जुड़कर बहुत फक्र महसूस करता हूँ। भारत के सशक्त नागरिक होने के नाते हमारा फर्ज बनता है कि हमसे जितना हो सके दूसरों की उतनी मदद करें। दूसरों को भी खुशी दें। Aasra foundation
आसरा से जुड़कर उन्हें निस्वार्थ भाव से सोचने का अवसर मिला: दुर्गेश
दुर्गेश रावल का कहना है कि आसरा से जुड़कर उन्हें निस्वार्थ भाव की सोच रखने वाले लोगों से जुड़ने का अवसर मिला। सकारात्मक ऊर्जा का संचार अपने स्वभाव में आया व सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास कम उम्र में ही होने लगा। आगे चलकर आसरा से यही आशा है कि हर उम्र, हर तबके के इंसान के लिए उसकी जरूरत अनुसार चाहे स्वास्थ को लेकर, शिक्षा को लेकर हो या अन्य किसी भी तरह की कठिनाई का सामना करना हो तो हम उसके साथ खड़े होने में निरंतर समर्थ हों। Panipat News
समाज सेवा करने के लिए एक नया रास्ता मिला : टिया
टिया जैन का कहना कि उसको आसरा के साथ जुड़कर समाज सेवा करने के लिए एक नया रास्ता मिला और वह इसका हिस्सा बन कर बहुत खुश है। जैन ने बताया कि आसरा शुरू करने का मन बहुत समय से था परंतु पढ़ाई के कारण वह कर नहीं पा रहे थे और जब पढ़ाई के साथ-साथ सोशल वर्क करने का समय मिला तो उन्होंने जल्द से जल्द आसरा के फाउंडेशन की शुरूआत कर दी। टिया ने कहा कि आसरा के सभी बच्चे बचपन से ही अपने माता-पिता को लोगों की मदद करते हुए देखते आए हैं और जब उन्हें ऐसा करने का अवसर मिला तो सब एक साथ जुड़कर कार्य करने में जुट गए।
यह भी पढ़ें:–Apple Tea: वाह, क्या चाय है! एक चुस्की में करे Cholesterol कंट्रोल