बच्चे समाज के भविष्य का दर्पण

Childern

बच्चे किसी भी देश व समाज के भविष्य का दर्पण होते हैं। आजकल के आधुनिक युग में बच्चों के स्वभाव में उग्रता में वृद्धि, छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ापन, उतावलापन, अनावश्यक बहस करना एवं अपने भाई, बहन व दोस्तों से झगड़ना आदि आदतें देखने को मिल रही हैं। बच्चे आजकल डरावनी फिल्मों, आपराधिक कार्यक्रम एवं टेलीविजन पर अव्यवहारिक व उग्रता से पूर्ण कार्यक्रम देखना अधिक पसंद करते हैं तो एक सजग अभिभावक के रूप में आपको इस बात पर अभी से ही काफी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

मूलत: बच्चे के स्वभाव व व्यवहार में इस प्रकार के परिवर्तन के लिए टेलीविजन को दोषी माना जाता है। परंतु इसके लिए केवल टेलीविजन को ही कारण माना जाना उचित नहीं है। ऐसे वक्त में यह जरूरी है कि माता-पिता स्वयं भी धैर्य से काम लेते हुए बच्चे में इस प्रकार के परिवर्तन के कारणों को जानने का प्रयास करें एवं बच्चे को अधिक समय दें एवं प्रेम से उसका मार्गदर्शन करें। कई बार तो यह देखने में भी आया है कि बच्चे अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में ही आपराधिक घटनाओं की ओर अग्रसर हो जाते हे एवं अनजाने की अपराधिक कृत्यों को अंजाम देते है। फलस्वरूप बचपन या बाल्यकाल में कारावास तक का दण्ड भी भुगतना पड़ता है। इसके लिए समझदार माता-पिता को ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए। समय रहते आपके द्वारा की गई सही कोशिश बच्चों को हिंसात्मक एवं आपराधिक होने से बचा सकती है। इससे उसका आज और कल दोनों सुखमय रहेगा।

ऐसा हो बच्चे का कमरा

  •  बच्चों के शयनकक्ष का अग्नि तत्व वाले जोन में होने से वे आपराधिक प्रविृत्तियों की ओर अग्रसर हो जाते है।
  •  इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए के बच्चा अपने शयनकक्ष में सो रहा हे तो टेलीविजन, इलेक्ट्रानिक गैजेट्स, चार्जर आदि सभी आॅफ हों।
  •  टूटे हुए खिलौने, ऐसी पुस्तकें जिनको पढ़ा न जाता हो, खाली डिब्बे, पैकेट व अन्य बेकार सामान घर से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा देती हैं।
  •  जहरयुक्त केमिकल घर में न रखें। अगर इन्हें घर में रखा भी है तो ध्यान रखें कि बच्चे की पहुंच से दूर हों।
  •  प्राय: घर में अब एक या दो बच्चे होते हैं और अभिभावक अपना पूरा प्यार-दुलार इन्हीं पर केन्द्रित करते हैं, जिससे बच्चों की अनावश्यक मांगों को भी पूरा किया जाने लगता है। बच्चों को खूब प्यार करें। पर, उनके पास खिलौनों का अंबार लगाने की गलती नहीं करें। बंदूक, राइफल्स आदि जैसे हिंसक खिलौने बच्चे को देने से बचें और साथ ही इस तरह के खिलौने उनके कमरे में भी नहीं रखें।
  •  बच्चों के शयनकक्ष की दीवारों को हल्के रंग में रंगवाएं। उनके कमरे की दीवारों पर वॉलपेपर लगवाने से बचें।
  •  बच्चों के सोने के लिए पलंग पर स्प्रिंग वाले गद्दों का इस्तेमाल नहीं करें।
  •  बच्चे को ढेर सारे खिलौने और उपहार देने की जगह उसके साथ खूब वक्त बिताएं, ताकि वो अपने मन की सारी बातें आपसे साझा कर सके।
  •  बच्चों के सोने के लिए केवल लकड़ी के पलंग का ही प्रयोग करें। लोहे या अन्य किसी धातु से बने हुए पलंग का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।

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