बच्चों पर हो रहे अत्याचार पर प्रदेश सरकार गंभीर
- नाबालिगों के लिए बनेंगे बाल सरंक्षण घर
- कानूनों के प्रति लोगों को किया जाएगा जागरूक
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। प्रदेश सरकार आए दिन हो रहे बच्चों पर अत्याचार के प्रति संवेदनशील है। सरकार ने बच्चों पर अत्याचारों को रोकने एवं उन्हें उनका बचपन बचाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए बाल एवं महिला विकास कल्याण मंत्रालय विशेष योजना को जल्द ही अमलीजामा पहनाने की कोशिश में है। इस बाबत जानकारी बाल एवं महिला विकास कल्याण मंत्रालय के एडीशनल चीफ सेके्रटरी पी.के. महापात्रा ने सच कहूँ से विशेष बातचीत में दी। महापात्रा के अनुसार प्रदेश में रिश्तेदारों, अन्य जानकारों एवं अनजान लोगों व कई दफा माता-पिता के हाथों अत्याचार सह रहे नाबालिग बच्चों के प्रति सरकार संवेदनशील है।
इसी के मद्देनज़र सरकार ने एक योजना के तहत जुवेनाइल कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ बाल संरक्षण घर बनाने की योजना तैयार की है। महापात्रा ने बताया कि आए दिन स्कूलों में, घरों में, खेल स्थानों पर एवं अन्य स्थानों पर बच्चों के साथ होते दुर्वव्यहार एवं हरासमेंट की शिकायतें एवं समाचार मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा नाबालिग बच्चियां इस प्रकार के अत्याचारों का शिकार हैं। वहीं उन्होंने कहा कि नाबालिग लड़के भी अत्याचार का शिकार हो रहे हैं, जिससे उनका बचपन ही समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर केसों में बच्चे के अभिभावक, रिश्तेदार या जान-पहचान के लोग ही उस पर अत्याचार या दुर्वव्यहार करते हैं। ऐसे में बच्चा किसी को बता नहीं पाता, सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए योजना तैयार की है।
हैल्पलाइन पर कॉल करते ही तुरंत पहुंचेगी सहायता
महापात्रा ने कहा कि 181 नंबर की हैल्पलाइन शुरू की जाएगी जिस पर कॉल करते ही बाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्रालय का अधिकारी शिकायतकर्ता द्वारा बताई गई जगह पर खुद पहुंचेगा। अगर पुलिस की मदद लेनी होती तो वह भी ली जाएगी।
यूरोप की तर्ज पर भारत में सख्त कानून
महापात्रा ने बताया कि नाबालिग बच्चों पर अत्याचार संबंधी कार्रवाई पर यूरोप के उदाहरण दिए जाते हैं परंतु भारत में यूरोप की तर्ज पर सख्त कानून है। उन्होंने कहा कि भारत में नाबालिग बच्चे को जबरदस्ती शराब या अन्य नशीला पदार्थ देने के दोषी को 7 साल की कैद या एक लाख रुपए जुर्माना हो सकता है। वहीं उत्पीड़न के दोषी को 3 साल की कैद या 50 हजार रुपए जुर्माना, बच्चों को बेचने के दोषी को 5 साल की कैद एवं एक लाख रुपए जुर्माना तक हो सकता है।
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