Artificial Intelligence in Hindi: डॉ.संदीप सिंहमार। देश में जब भी कोई नई नीति लागू होती है तो उसका विरोध होना तय है। लेकिन हर नीति खराब नहीं। होती कुछ नीति ऐसी भी है, जिसको यदि धरातल स्तर पर लागू किया जाए तो देश के बच्चों का भविष्य सुनहरा हो सकता है। ऐसी ही नीति का नाम है, नई शिक्षा नीति-2020। भारत देश के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड नई दिल्ली में अब यह सुनिश्चित किया है कि बोर्ड से संबंधित स्कूलों में अब कौशल विकास के विषयों की पढ़ाई मिडिल स्तर से ही करवाई जाएगी। पहले यह पढ़ाई देश भर में ग्रेजुएशन स्तर पर जाकर शुरू होती थी। पर अब मिडिल स्तर पर ही एप्लीकेशन ऑफ सेटेलाइट की जानकारी बच्चों को मिलेगी। CBSE Board
इन विषयों को किया शामिल | CBSE Board
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई ने मिडिल स्तर पर कल 33 विषयों को कौशल विकास के तौर पर शामिल किया है। इन विषयों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, एप्लीकेशन का सेटेलाइट्स,ब्यूटी एंड वैलनेस, डिजाइन थिंकिंग, फाइनेंशियल लिटरेसी, हैंडीक्राफ्ट्स, मार्केटिंग, कमर्शियल एप्लीकेशन,मास मीडिया, ट्रैवल एंड टूरिज्म, कोडिंग डेटा साइंस, लाइफ साइकिल ऑफ़ मेडिसिन एंड वैक्सीन, थिंक यू शुड नो अबाउट कीपिंग मेडिसिंस एट होम, व्हाट टू डू व्हेन डॉक्टर इस नॉट अराउंड, ह्यूमैनिटी एंड कॉविड-19, ब्लू पोयट्री,शायरी, ब्लॉक प्रिंटिंग,फूड्स, फूड प्रिजर्वेशन, कुलीनरी और बेकिंग, हर्बल,हेरिटेज,खड़ी,मास्क मेकिंग, हाउ टू मेक ए ग्राफिक नोवल, कश्मीरी एंब्रॉयडरी, एंब्रॉयडरी व रॉकेट्स सेटेलाइट्स शामिल है।
छठी कक्षा में ये होंगे कौशल विषय | CBSE Board
प्रायमरी एजुकेशन के बाद मिडिल क्लास की शुरुआत छठी से मानी जाती है। छठी के बच्चों के मानसिक स्तर को देखते हुए विशेष विषय तैयार किए गए हैं, इनमें संवर्धित वास्तविकता/आभासी वास्तविकता व डिजिटल सिटीजनशिप विषय शामिल किए गए हैं। इसका मतलब सीबीएसई अब नई शिक्षा नीति के तहत छठी कक्षा से ही कौशल विषयों को इसी
शैक्षणिक सत्र से पढ़ाने जा रहा है।
विद्यार्थी खुद करेंगे विषयों का चयन
कौशल विकास पर आधारित विषयों का चयन विद्यार्थी खुद करेगा। लेकिन इसके लिए समय सारणी प्रतिदिन के हिसाब से स्कूल तय करेगा। पाठ्यक्रम में साफ तौर पर यह बात कही गई है कि स्कूल ऐसी समय सारणी तैयार करें, जिससे बच्चों का होमवर्क वह बैग का बोझ काफी कम हो।
होम वर्क व बैग का बोझ कम होगा
ऐसी स्थिति में स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सीबीएसई के निर्देशों के अनुसार बच्चों द्वारा चयनित किए गए विषयों के अनुसार समय सारणी बनानी होगी, ताकि पाठ्यक्रम में बताए गए प्रत्येक विषय के लिए उतनी ही घंटे काम करवाया जा सके,जैसा निर्धारित किया गया है। हर विषय के लिए समय अवधि निश्चित की गई है। यदि सीबीएसई के इन नियमों के तहत स्कूल वास्तव में काम करता है तो बच्चों में कौशल विकसित होगा।