प्रवासी मजदूर के सड़क पर निकलने पर पूर्ण पाबंदी
- सरकार के 129 शेल्टर होम एवं रिलीफ सैंटरों में रुके 30 हजार प्रवासी मजदूर
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़/सच कहूँ)। कोरोना के मद्देनजर हुए लॉकडाउन के चलते हजारों-हजार प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं और इस कारण वे हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से अपने राज्य बिहार, यूपी को लौटना शुरू हो गए हैं। जिसका परिणाम ये है कि प्रदेश की विभिन्न सड़कों पर सैकड़ों के जत्थों में इन मजदूरों को पैदल या साइकिल द्वारा ही दिल्ली की ओर जाते देखा जा सकता है।
हरियाणा सरकार मीडिया द्वारा दिखाई जा रही इस संबंधित खबरों के बाद जागी है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों की मूवमेंट के दृष्टिगत सभी अंतर्राज्यीय और अंतर-जिला सीमाएं सील करने के निर्देश देते हुए कहा कि जो जहां है, उसे वहीं रोक कर रखा जाए और जाने की अनुमति हरगिज न दी जाए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बंधित जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए कि ऐसे लोगों के लिए वहीं पर रिलीफ कैंप स्थापित करके उनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की जाए और यदि फिर भी कोई जबरदस्ती करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
रिलीफ कैंपों के लिए नोडल अधिकारी किए नियुक्त
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन रिलीफ कैंपों के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए जाएं जो इनके खाने-पीने और स्वास्थ्य इत्यादि का ध्यान रखेंगे। इन कैंपों में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी मुख्य मार्गों के साथ-साथ ऐसे रिलीफ कैंप स्थापित किए जाएं और लोगों को रास्तों पर रहने की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जाए। इसके अलावा, जिला स्तर पर कॉल सेंटर भी स्थापित किए जाएं।
समाजसेवी संस्थाओं से मनोहर लाल की गुहार
मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के इस समय के दौरान सहायता के लिए विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं को भी जोड़ा जाए। उनके लोगों को जिम्मेदारी देकर उन्हें कार्य करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि अनेक सामाजिक संस्थाओं ने हर तरह की मदद की पेशकश की है, ऐसे में लोगों को रखने के लिए इनके भवनों का उपयोग किया जा सकता है। हर ऐसे आश्रय स्थल पर एक अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए जो लोगों के खाने-पीने समेत विभिन्न जरूरतों का ध्यान रख सके। हर आश्रय पर सरकार की और से स्वास्थ्य तथा सफाई सुविधा का प्रबंध सरकार की और से होना चाहिए। गर्म भोजन की व्यवस्था जहां तक सम्भव हो किसी स्थानीय गैर-सरकारी संस्था को देनी चाहिये। इसके अलावा, जो बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति अकेले रह रहे हैं, उनका ध्यान रखने की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
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